Snake Bite | मानसून में सांप के काटने की घटनाएँ क्यों बढ़ जाती हैं? क्या है Help Line Number और कैसे करें बचाव

Published on: 23-07-2025
SnakeBite treatment

भारत में मानसून के मौसम (जून से सितंबर) में सांप के काटने (snake bite) की घटनाएँ काफी बढ़ जाती हैं। इसका मुख्य कारण पर्यावरणीय और व्यवहारिक परिवर्तन हैं। भारी बारिश के कारण सांपों के प्राकृतिक आवास, जैसे कि बिल और जंगली क्षेत्र, पानी से भर जाते हैं, जिससे वे सुरक्षा और सूखी जगह की तलाश में मानव बस्तियों के नजदीक आ जाते हैं। इस दौरान नमी और ठंडे तापमान के कारण सांप अधिक सक्रिय हो जाते हैं। साथ ही, ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि गतिविधियाँ, जैसे खेती और फसल कटाई, भी मानसून में चरम पर होती हैं, जिससे किसानों और मजदूरों का सांपों से सामना होने की संभावना बढ़ जाती है। अधिकांश काटने की घटनाएँ पैरों में होती हैं, क्योंकि ग्रामीण लोग अक्सर बिना जूतों या सुरक्षा उपकरण के काम करते हैं। भारत में सांप के काटने से होने वाली मौतों में से लगभग 50% मानसून के दौरान होती हैं, जो वर्षा (R = 0.93, p<.0001) और न्यूनतम तापमान (R = 0.80, p = 0.0017) से सीधे जुड़ी हुई हैं।

भारत में खतरनाक सांपों की प्रजातियाँ

भारत में 300 से अधिक सांपों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें से लगभग 60 जहरीली हैं। इनमें से “बिग फोर” नामक चार प्रजातियाँ लगभग 90% मौतों के लिए जिम्मेदार हैं:

  1. कोबरा (नाजा नाजा): इसके फन पर चश्मे जैसी आकृति होती है। इसके काटने से तंत्रिका तंत्र प्रभावित होता है, जिससे पैरालिसिस, धुंधला दिखाई देना और साँस लेने में तकलीफ हो सकती है। यह अक्सर रात में खुले खेतों या गाँवों के आसपास देखा जाता है।
  2. रसेल वाइपर (डाबोइया रसेली): यह आक्रामक सांप खेतों और घास के मैदानों में पाया जाता है। इसके काटने से सूजन, खून बहना, उल्टी और किडनी फेल हो सकती है।
  3. करैत (बंगारस केरूलियस): यह काले-नीले रंग का चमकदार सांप होता है, जिस पर सफेद धारियाँ होती हैं। इसका काटना दर्दरहित हो सकता है, जिससे इलाज में देरी हो जाती है। यह गंभीर पैरालिसिस और साँस लेने में असमर्थता पैदा करता है।
  4. सॉ-स्केल्ड वाइपर (इचिस केरिनाटस): यह छोटा लेकिन बेहद खतरनाक सांप है, जो रेतीले इलाकों में पाया जाता है। इसके काटने से तेज दर्द, अत्यधिक रक्तस्राव और ऊतकों का नष्ट होना हो सकता है।

इनके अलावा, हम्प-नोज्ड पिट वाइपर (पश्चिमी घाट), मोनोसेलेट कोबरा (पूर्वोत्तर भारत) और सोचुरेक की सॉ-स्केल्ड वाइपर (राजस्थान) जैसी प्रजातियाँ भी मौजूद हैं, जिनके काटने कम होते हैं लेकिन क्षेत्रीय स्तर पर खतरनाक हो सकते हैं।

जहरीले और गैर-जहरीले सांपों की पहचान कैसे करें?


1. सिर का आकार

  • जहरीले सांप: इनके सिर का आकार त्रिकोणीय या तीर के नोक जैसा होता है, क्योंकि इनमें जहर की ग्रंथियाँ होती हैं।
  • गैर-जहरीले सांप: इनके सिर गोल आकार के होते हैं।

2. काटने के निशान

  • जहरीले सांप: इनके काटने पर दो स्पष्ट डंक (फैंग्स) के निशान दिखाई देते हैं।
  • गैर-जहरीले सांप: इनके काटने पर कई छोटे दांतों के निशान होते हैं।

3. आँखों की पुतली और त्वचा

  • जहरीले सांप: इनकी पुतली ऊर्ध्वाधर (खड़ी) और आँखें छोटी होती हैं। इनकी त्वचा खुरदरी (कील्ड स्केल्स) होती है।
  • गैर-जहरीले सांप: इनकी पुतली गोल और आँखें बड़ी होती हैं। त्वचा चिकनी होती है, जैसे भारतीय चूहे वाला सांप (Indian Rat Snake), जो मानसून में अक्सर दिखाई देता है।

गैर-जहरीले सांप

  • भारतीय चूहे वाला सांप (Indian Rat Snake) – यह शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में पाया जाता है और चूहों को खाकर फसलों की रक्षा करता है।
  • चेकर्ड कीलबैक (Checkered Keelback) – यह पानी के पास रहने वाला सांप है।
  • रेड सैंड बोआ – यह मिट्टी में रहने वाला हानिरहित सांप है।
  • ब्रॉन्ज़बैक ट्री स्नेक – यह पेड़ों पर रहने वाला सांप है।

इन गैर-जहरीले सांपों को अक्सर जहरीले समझ लिया जाता है, लेकिन ये तभी काटते हैं जब इन्हें परेशान किया जाए।

जहरीले सांप के काटने के लक्षण

  • न्यूरोटॉक्सिक (कोबरा, करैत): धुंधली दृष्टि, पलकों का झुकना, पैरालिसिस, साँस लेने में तकलीफ और बेहोशी।
  • हेमोटॉक्सिक (रसेल वाइपर, सॉ-स्केल्ड वाइपर): सूजन, लालिमा, खून बहना, उल्टी, किडनी फेलियर और ऊतकों का नष्ट होना।
  • सामान्य लक्षण: मतली, बुखार, पेट दर्द, मांसपेशियों में कमजोरी, निम्न रक्तचाप और थकान।

सांप के काटने पर तुरंत क्या करें?

  • आपातकालीन सेवाओं (108 या 15400) को कॉल करें।
  • मरीज को शांत रखें और काटे गए अंग को हृदय से नीचे रखें।
  • घाव को साबुन और पानी से धोएं और ढीले कपड़े से ढक दें।
  • चोटिल अंग से कसी हुई चीजें (जैसे अंगूठी या जूते) हटा दें।
  • सांप की पहचान के लिए, यदि सुरक्षित हो, तो उसकी तस्वीर लें।

क्या न करें?

  • घाव को काटें या चूसें नहीं।
  • बर्फ या पट्टी बाँधने से बचें।
  • शराब या कैफीन न दें।
  • मरीज को चलने न दें या सांप का पीछा न करें।

सावधानियाँ

  • खेतों में जूते और दस्ताने पहनें।
  • रात में टॉर्च का उपयोग करें।
  • घर और आसपास के क्षेत्र को साफ रखें।
  • ग्रामीणों को सांपों से बचाव के तरीके बताएँ।

भारत में सबसे अधिक सांप के काटने की घटनाएँ वाले राज्य


2001 से 2014 के बीच, भारत में 70% सांप काटने से होने वाली मौतें निम्नलिखित आठ राज्यों में हुईं:

  1. उत्तर प्रदेश – प्रति वर्ष ~8,700 मौतें।
  2. आंध्र प्रदेश (तेलंगाना सहित) – ~5,200 मौतें (सबसे अधिक दर: 6.2 प्रति 1,00,000 लोग)।
  3. बिहार – ~4,500 मौतें।
  4. ओडिशा – 2017-2019 में 27.1–37.0 प्रति 1,00,000 मामले।
  5. मध्य प्रदेश
  6. झारखंड
  7. राजस्थान
  8. गुजरात

और भी हैं आँकड़े (2017–2019):

  • पश्चिम बंगाल (36.6–39.4 प्रति 1,00,000)
  • तमिलनाडु (36.4–36.6)
  • महाराष्ट्र (32.4–35.0)
  • कर्नाटक (20.3)

कर्नाटक पहला राज्य बना जिसने सांप के काटने को “अधिसूचनीय” (notifiable) बनाया, जिससे डेटा संग्रहण बेहतर हुआ। महाराष्ट्र के नासिक जिले के सिन्नार, कलवन और सुरगाणा जैसे आदिवासी और पहाड़ी क्षेत्रों में भी मानसून के दौरान सांप काटने के मामले बढ़ जाते हैं।

सांप काटने से होने वाली मौतों को कम करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर जागरूकता अभियान, स्वास्थ्यकर्मियों की ट्रेनिंग और त्वरित चिकित्सा सेवा जरूरी है।सही समय पर इलाज और सावधानी बरतने से सांप के विषैले प्रभाव को रोका जा सकता है और जान बचायी जा सकती है।

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