Grand Mufti of India | कांथापुरम ए.पी. अबूबक्कर मुस्लियार कर रहे हैं निमिशा प्रिया की रिहाई के लिए मध्यस्थता, जानिए कौन हैं ये प्रभावशाली सुन्नी मुस्लिम नेता

ग्रैंड मुफ्ती के रूप में अबूबक्कर मुस्लियार ने कई महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं।

केरल की नर्स निमिशा प्रिया, जो यमन में फांसी की सजा की घड़ियां गिन रही हैं, उनके मामले में अब एक नया मोड़ आया है। भारत के ग्रैंड मुफ्ती कांथापुरम ए.पी. अबूबक्कर मुस्लियार ने इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए निमिशा की रिहाई के लिए मध्यस्थता की पहल की है। उन्होंने यमन के सूफी धार्मिक नेता शेख हबीब उमर के साथ मिलकर पीड़ित परिवार से ‘खून के पैसे’ (दिया) के तहत समझौता करने की अपील की है। इसके पीछे उनका उद्देश्य इस्लामिक कानून के तहत एक मानवीय समाधान निकालना है। अबूबक्कर मुस्लियार भारत के सुन्नी मुस्लिम समुदाय के सर्वोच्च धार्मिक नेता हैं और उनकी यह पहल निमिशा के मामले में एक नई उम्मीद जगाती है।

निमिशा को 2017 में यमन के एक व्यापारी तलाल अब्दो महदी की हत्या के आरोप में फांसी की सजा सुनाई गई थी, जिसके बाद से वह सना जेल में बंद हैं। निमिशा का कहना है कि उन्होंने महदी को केवल बेहोश करने के लिए केटामाइन का इंजेक्शन लगाया था, लेकिन ओवरडोज के कारण उसकी मौत हो गई। यमन के कानून के तहत पीड़ित के परिवार को ‘खून के पैसे’ (दिया) देकर सजा से बचा जा सकता है, लेकिन अब तक यह समझौता नहीं हो पाया है। निमिशा के परिवार ने करीब 10 लाख डॉलर देने की पेशकश की है लेकिन पीड़ित परिवार द्वारा इसको लेकर कोई जवाब नहीं दिया गया है, वे इसे अब ‘ सम्मान’ की लड़ाई के रूप में ले रहे हैं।

कौन हैं ए.पी. अबूबक्कर मुस्लियार

कांथापुरम ए.पी. अबूबक्कर मुस्लियार, जिन्हें आधिकारिक तौर पर शेख अबूबक्र अहमद के नाम से जाना जाता है, का जन्म 22 मार्च 1931 को केरल के कोझिकोड जिले के कांथापुरम गांव में हुआ था। एक धार्मिक परिवार में जन्मे अबूबक्कर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पारंपरिक इस्लामिक स्कूलों में प्राप्त की और बाद में तमिलनाडु के वेल्लोर स्थित बाकियाथ स्वालिहाथ में उच्च शिक्षा प्राप्त की, जहां उन्होंने इस्लामिक कानून, धर्मशास्त्र और आध्यात्मिकता की गहन समझ विकसित की। 24 फरवरी 2019 को उन्हें भारत का ग्रैंड मुफ्ती नियुक्त किया गया, जो देश के सुन्नी मुस्लिम समुदाय के लिए सर्वोच्च धार्मिक पद है। यह पद उन्हें इस्लामिक कानून और सामाजिक मामलों पर गैर-बाध्यकारी कानूनी राय (फतवा) देने का अधिकार देता है। वह इस पद पर पहुंचने वाले दक्षिण भारत के पहले व्यक्ति हैं, जो केरल के मुस्लिम समुदाय के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।

ग्रैंड मुफ्ती के रूप में अबूबक्कर मुस्लियार ने कई महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं। वह ऑल इंडिया सुन्नी जमीयथुल उलेमा के महासचिव हैं, जो भारतीय मुस्लिम विद्वानों की एक प्रमुख संस्था है, और इस पद पर वह पिछले 25 वर्षों से कार्यरत हैं। इसके अलावा, वह समस्था केरल जेम-इय्यथुल उलेमा (एपी फैक्शन) के महासचिव भी हैं, जो केरल में सुन्नी मुसलमानों की एक बड़ी संस्था है। 1980 के दशक के अंत में उन्होंने समस्था केरल जमियत-उल-उलेमा में विभाजन का नेतृत्व किया था, जिसके बाद एपी फैक्शन का गठन हुआ। इस संगठन ने राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और इस्लामिक शिक्षा तथा सामाजिक कार्यों में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

अबूबक्कर मुस्लियार की धार्मिक और सामाजिक पहचान उनके शांति और सहिष्णुता के संदेश से जुड़ी हुई है। 2014 में उन्होंने इस्लामिक स्टेट (आईएसआईएस) के खिलाफ एक ऐतिहासिक फतवा जारी किया, जिसमें उन्होंने भारतीय मुस्लिम समुदाय को आतंकवाद के खिलाफ जागरूक करने का आह्वान किया। यह फतवा संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रीय अभिलेखागार में संरक्षित है। उन्होंने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) का भी विरोध किया, लेकिन इसके लिए शांतिपूर्ण विरोध पर जोर दिया। उनकी अंतरराष्ट्रीय पहचान भी काफी मजबूत है और वह यूएई, बहरीन, कुवैत, ओमान, मलेशिया और इंडोनेशिया जैसे देशों में सम्मानित हुए हैं। 2024 में दुबई सरकार ने उन्हें 10 साल का गोल्डन वीजा प्रदान किया, जो किसी भारतीय मुस्लिम धार्मिक नेता को मिलने वाला पहला सम्मान था।

केंद्र ने भी जाहिर की बेबसी

सुप्रीम कोर्ट में 14 जुलाई को उस याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें केंद्र को निर्देश देने की मांग की गई थी कि वह निमिषा प्रिया की सजा टालने के लिए राजनयिक चैनलों के जरिए हस्तक्षेप करे. भारत सरकार के अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने अदालत में कहा, ‘हम हर संभव प्रयास कर रहे हैं, लेकिन यमन को लेकर ज्यादा कुछ नहीं किया जा सकता.’ अब इस मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी.

वेंकटरमणी ने बताया कि भारत सरकार ने यमन सरकार से राजनयिक माध्यमों से संपर्क किया है. यहां तक कि एक प्रभावशाली स्थानीय शेख से भी बातचीत की गई, लेकिन इसका कोई असर नहीं पड़ा. उन्होंने कहा कि यमन सरकार इसे ‘सम्मान और न्याय’ का मामला मान रही है, और ब्लड मनी जैसी व्यवस्था को फिलहाल स्वीकार करने को तैयार नहीं है.

आशा की नयी किरण

निमिशा प्रिया के मामले में अबूबक्कर मुस्लियार का हस्तक्षेप एक महत्वपूर्ण कदम है। यमन के कानून के तहत पीड़ित के परिवार को ‘खून के पैसे’ (दिया) देकर सजा से बचा जा सकता है, लेकिन अब तक यह समझौता नहीं हो पाया है। अबूबक्कर मुस्लियार ने इस मामले में यमन के सूफी नेता शेख हबीब उमर के साथ मिलकर पीड़ित परिवार से बातचीत शुरू की है और उम्मीद जताई है कि इस्लामिक कानून के तहत एक मानवीय समाधान निकाला जा सकेगा।

अबूबक्कर मुस्लियार का यह कदम न केवल निमिशा प्रिया के परिवार के लिए एक नई आशा है, बल्कि यह भारत और यमन के बीच धार्मिक और कूटनीतिक संबंधों को भी मजबूत करता है। उनकी इस पहल से यह साबित होता है कि धार्मिक नेता अंतरराष्ट्रीय मानवीय मुद्दों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। निमिशा का मामला अब एक निर्णायक मोड़ पर है और अगर अबूबक्कर मुस्लियार की मध्यस्थता सफल होती है, तो यह एक ऐतिहासिक उदाहरण बन सकता है कि कैसे धार्मिक नेतृत्व और कूटनीति मिलकर मानव जीवन की रक्षा कर सकते हैं।

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