जून 2024 में UPI के जरिए 613 मिलियन (61.3 करोड़) डेली ट्रांजैक्शन हुए, जो मई के 602 मिलियन से ज्यादा है। पिछले साल जून की तुलना में UPI वॉल्यूम में 32% और ट्रांजैक्शन वैल्यू में 20% की बढ़ोतरी हुई है।
नई दिल्ली- यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) की बदौलत भारत ने डिजिटल लेनदेन में दुनिया को पीछे छोड़ दिया है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत अब दुनिया में सबसे तेज डिजिटल पेमेंट करने वाला देश बन गया है।
2016 में लॉन्च होने के बाद से UPI ने जबरदस्त तरक्की की है, जबकि नकदी के इस्तेमाल में कमी आई है। IMF की रिपोर्ट ‘Growing Retail Digital Payments: The Value of Interoperability’ के मुताबिक, UPI अब हर महीने 18 अरब से ज्यादा लेनदेन प्रोसेस करता है और भारत में अन्य डिजिटल पेमेंट सिस्टम्स पर हावी हो चुका है।
UPI, इमीडिएट पेमेंट सर्विस (IMPS) के ढांचे पर बना एक तत्काल भुगतान प्लेटफॉर्म है। IMF ने कहा कि इसकी इंटरऑपरेबिलिटी (अलग-अलग पेमेंट सिस्टम्स के बीच तालमेल) ने यूजर्स के लिए डिजिटल पेमेंट्स को आसान और बेहतर बना दिया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, “इंटरऑपरेबिलिटी यूजर्स को अपनी पसंद का ऐप चुनने की आजादी देती है, जिससे वे बेहतर सर्विस का फायदा उठा पाते हैं। यह नए प्रदाताओं को मौका देती है और पुराने प्रदाताओं को अपने ऐप्स को अपग्रेड करने के लिए प्रेरित करती है।”
सरकारी ऐप BHIM ने निभाई अहम भूमिका
नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने 2016 में भीम (BHIM) ऐप लॉन्च किया था, जिसने UPI के विस्तार में बड़ी भूमिका निभाई। IMF ने कहा कि “शुरुआत में BHIM, UPI के कुल लेनदेन का आधे से ज्यादा हिस्सा था, लेकिन बाद में फिनटेक कंपनियों के ऐप्स ने इसकी जगह ले ली। इससे साफ है कि सरकारी ऐप्स डिजिटल पेमेंट्स के विस्तार में अहम भूमिका निभा सकते हैं।”
UPI ने जून में फिर बनाया रिकॉर्ड
जून 2024 में UPI के जरिए 613 मिलियन (61.3 करोड़) डेली ट्रांजैक्शन हुए, जो मई के 602 मिलियन से ज्यादा है। पिछले साल जून की तुलना में UPI वॉल्यूम में 32% और ट्रांजैक्शन वैल्यू में 20% की बढ़ोतरी हुई है।
IMF ने कहा कि “इंटरऑपरेबल सिस्टम बनाने या उन्हें रेगुलेट करने से देशों को कैशलेस इकोनॉमी की तरफ बढ़ने में मदद मिल सकती है।” भारत ने UPI के जरिए यह साबित कर दिया है कि तकनीक और इंटरऑपरेबिलिटी से डिजिटल पेमेंट्स को बड़े पैमाने पर अपनाया जा सकता है।
UPI के फायदे
UPI ने भारत में डिजिटल पेमेंट्स को क्रांतिकारी बना दिया है। इसकी कम लागत और त्वरित लेनदेन सुविधा ने छोटे व्यापारियों, रेहड़ी-पटरी वालों और ग्रामीण क्षेत्रों तक डिजिटल अर्थव्यवस्था को पहुंचाया है। UPI की दो-स्तरीय प्रमाणीकरण प्रणाली और वर्चुअल पेमेंट एड्रेस (VPA) लेनदेन को सुरक्षित बनाते हैं। यह वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देता है, जिससे लाखों लोग औपचारिक बैंकिंग से जुड़े हैं। UPI ने नकदी से जुड़े काले धन और भ्रष्टाचार को कम करने में भी मदद की है। इसका वैश्विक विस्तार, जैसे श्रीलंका, नेपाल और सिंगापुर में उपयोग, भारत की तकनीकी ताकत को दर्शाता है। UPI अब 300 से अधिक बैंकों और 50 से ज्यादा ऐप्स के साथ काम करता है, जिससे यह दुनिया का सबसे व्यापक और सुलभ पेमेंट सिस्टम बन गया है। भविष्य में, UPI के जरिए क्रेडिट और बीमा जैसी सेवाओं को जोड़ने की योजना है, जो भारत को और अधिक डिजिटल और समावेशी अर्थव्यवस्था की ओर ले जाएगी।
दूसरे देश जो हैं डिजिटल भुगतान में अग्रणी
डिजिटल पेमेंट्स में भारत के बाद कुछ अन्य देश भी उल्लेखनीय प्रगति कर रहे हैं, जो वैश्विक स्तर पर इस क्षेत्र में अग्रणी हैं। सत्यापित जानकारी के आधार पर, चीन, स्वीडन, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर और संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) डिजिटल भुगतान में सबसे आगे हैं।
चीन ने डिजिटल पेमेंट्स में क्रांति ला दी है, जहां वीचैट पे (WeChat Pay) और अलीपे (Alipay) जैसे प्लेटफॉर्म रोजमर्रा के लेनदेन को हावी हैं। 2022 में, चीन में डिजिटल भुगतान का हिस्सा लगभग 46% था, जो मोबाइल भुगतान के मामले में भारत को पीछे छोड़ता है। स्वीडन ने नकदी का उपयोग लगभग खत्म कर दिया है, और 2023 तक 98% लेनदेन डिजिटल तरीके से हो रहे थे, जिसमें स्विश (Swish) ऐप प्रमुख है। दक्षिण कोरिया में सैमसंग पे और काकाओ पे जैसे सिस्टम ने 2024 तक डिजिटल पेमेंट्स को 89% तक पहुंचाया, विशेषकर स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं में।
सिंगापुर अपनी उन्नत तकनीक और पीएवाईनाउ (PayNow) सिस्टम के साथ डिजिटल पेमेंट्स में अग्रणी है, जहां 2023 में 85% खुदरा लेनदेन डिजिटल थे। संयुक्त राज्य अमेरिका में, पेपाल (PayPal), वेनमो (Venmo), और ऐप्पल पे जैसे प्लेटफॉर्म ने 2024 तक डिजिटल भुगतान को 70% तक बढ़ाया, हालांकि नकदी का उपयोग अभी भी कुछ क्षेत्रों में बना हुआ है। इन देशों ने इंटरऑपरेबिलिटी, सुरक्षा, और वित्तीय समावेशन पर ध्यान देकर सफलता हासिल की है।
भारत के UPI की तरह, ये देश भी सरकारी नीतियों और तकनीकी नवाचार के जरिए डिजिटल अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रहे हैं। हालांकि, भारत की 61.3 करोड़ दैनिक लेनदेन (जून 2024) और 18 अरब मासिक लेनदेन (IMF रिपोर्ट) ने इसे अनोखी स्थिति दी है, क्योंकि यह बड़े पैमाने पर सस्ती और त्वरित सेवाएं प्रदान करता है। ये सभी देश डिजिटल पेमेंट्स में भविष्य की दिशा तय कर रहे हैं, लेकिन प्रत्येक का मॉडल अपनी स्थानीय जरूरतों के अनुसार अनुकूलित है।
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