Right to Information(RTI): कोर्ट से सूचना कैसे प्राप्त करें? यह सवाल अक्सर उन नागरिकों के मन में उठता है जो न्यायपालिका से पारदर्शिता चाहते हैं। सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम, 2005 भारत में पारदर्शिता और जवाबदेही का एक शक्तिशाली उपकरण है। यह संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को मजबूत करता है, जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने मौलिक अधिकार माना है। RTI न केवल सरकारी विभागों से जानकारी मांगने की सुविधा देता है, बल्कि यह सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय और अधीनस्थ अदालतों जैसे न्यायिक संस्थानों पर भी लागू होता है। 2019 में सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला दिया कि मुख्य न्यायाधीश (CJI) का कार्यालय भी RTI के दायरे में है, और 2025 में डिजिटल प्रगति ने इस प्रक्रिया को और सरल बनाया है।
यह लेख अदालतों में RTI आवेदन की प्रक्रिया, नियम, अपवाद, अपील और उपयोगी सुझावों को सरलता से समझाता है। चाहे आप प्रशासनिक जानकारी जैसे बजट या भर्ती विवरण मांगना चाहें, या केस की स्थिति जानना चाहें, यह गाइड आपकी मदद करेगा। हमने इसमें 2025 के नवीनतम अपडेट्स, जैसे पेंडेंसी संकट और डिजिटल प्रगति को भी शामिल किया है।
RTI अधिनियम 2005: न्यायपालिका पर लागूता
न्यायपालिका, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय, 28 उच्च न्यायालय और हजारों अधीनस्थ अदालतें शामिल हैं, को RTI के तहत ‘सार्वजनिक प्राधिकरण’ माना जाता है। इसका मतलब है कि ये संस्थाएं प्रशासनिक और कुछ हद तक न्यायिक जानकारी प्रदान करने के लिए बाध्य हैं।
प्रमुख मील के पत्थर
- 2019 का फैसला (सुप्रीम कोर्ट vs. सुबाष चंद्र अग्रवाल): CJI का कार्यालय RTI के दायरे में आया। कोर्ट ने कहा कि पारदर्शिता लोकतंत्र को मजबूत करती है, जिससे न्यायाधीशों की संपत्ति घोषणा जैसी जानकारी सार्वजनिक हो सकी।
- 2020 का फैसला: लंबित मुकदमों के दस्तावेज तीसरे पक्ष को नहीं दिए जा सकते, क्योंकि यह निजी जानकारी है।
- 2025 के अपडेट्स:
- डिजिटल प्रगति: जुलाई 2025 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने RTI नियमों को डिजिटल फॉर्मेट (ईमेल, पीडीएफ) के लिए अपडेट करने की सिफारिश की।
- केरल का फैसला: मई 2025 में केरल राज्य सूचना आयोग ने पुष्टि की कि अदालतें RTI से बाहर नहीं हैं, लेकिन न्यायिक कार्यवाही अपवाद हैं।
- पेंडेंसी संकट: फरवरी 2025 की रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत में 4.2 करोड़ RTI आवेदन और 26 लाख दूसरी अपील लंबित हैं। जनवरी 2025 में सर्वोच्च न्यायालय ने RTI मशीनरी की कमी पर चिंता जताई।
धारा 22 के तहत, RTI अधिनियम उच्च न्यायालय नियमों पर प्राथमिकता रखता है, लेकिन प्रमाणित प्रतियां प्राप्त करने के लिए अलग प्रक्रिया हो सकती है।

अदालतों में RTI के नियम और अपवाद
RTI अधिनियम की धारा 8(1) में जानकारी से इनकार के आधार दिए गए हैं, जो न्यायपालिका पर लागू हैं:
- राष्ट्रीय सुरक्षा: देश की सुरक्षा, विदेशी संबंध या आर्थिक हितों को प्रभावित करने वाली जानकारी।
- न्यायिक गोपनीयता: वकील-न्यायाधीश संवाद या कॉलेजियम के गोपनीय निर्णय।
- निजी जानकारी: न्यायाधीशों की व्यक्तिगत संपत्ति या स्वास्थ्य, जब तक लोकहित न हो।
- लंबित मुकदमे: ऐसी जानकारी जो न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करे।
धारा 11 के तहत, तीसरे पक्ष से जुड़ी जानकारी के लिए नोटिस देना अनिवार्य है।
समय सीमा
- सामान्य जानकारी: 30 दिन।
- जीवन/स्वतंत्रता से जुड़ी: 48 घंटे।
- बहु-विभागीय: 45 दिन तक।
- 2025 की पेंडेंसी के कारण समय ज्यादा लग सकता है।
अदालतों में RTI आवेदन की प्रक्रिया
अदालतों में RTI दाखिल करना सरल है, लेकिन सही PIO और सटीकता जरूरी है।
1. आवेदन तैयार करें : ऑनलाइन/ऑफलाइन
- सादे कागज पर लिखें (हिंदी, अंग्रेजी, स्थानीय भाषा)।
- स्पष्ट प्रश्न, जैसे: “सर्वोच्च न्यायालय का 2024-25 का प्रशासनिक बजट।”
- नाम, पता, फोन, ईमेल शामिल करें।
- 3000 शब्दों तक; अतिरिक्त दस्तावेज पीडीएफ में।
2. सही PIO चुनें
- सर्वोच्च न्यायालय: केंद्रीय PIO, सुप्रीम कोर्ट, नई दिल्ली (sci.gov.in/rti)
- उच्च न्यायालय: वेबसाइट, जैसे delhihighcourt.nic.in।
- अधीनस्थ अदालतें: जिला न्यायाधीश कार्यालय।
3. शुल्क
- ₹10 (कैश, पोस्टल ऑर्डर, डिमांड ड्राफ्ट, ऑनलाइन)।
- BPL को छूट (प्रमाण पत्र संलग्न)।
- कॉपी: प्रति पेज ₹2; निरीक्षण शुल्क अलग।
4. आवेदन जमा करना
- ऑनलाइन:
- rtionline.gov.in पर रजिस्टर करें।
- मिनिस्ट्री/डिपार्टमेंट चुनें (जैसे सुप्रीम कोर्ट)।
- आवेदन भरें, शुल्क पे करें (UPI, कार्ड)।
- रजिस्ट्रेशन नंबर नोट करें।
- राज्य स्तर: rtionline.up.gov.in जैसे पोर्टल।
- ऑफलाइन: डाक या व्यक्तिगत।
- 2025 अपडेट: डिजिटल प्रक्रिया तेज।
5. स्थिति ट्रैकिंग
- rtionline.gov.in या संबंधित राज्य की कोर्ट की वेबसाईट पर “View RTI Status”
- ईमेल/SMS अलर्ट उपलब्ध।
6. जानकारी प्राप्ति
- स्वीकृत होने पर ईमेल, पोस्ट या निरीक्षण से।
अपील प्रक्रिया
प्रथम अपील
- किसे: FAA (PIO से वरिष्ठ), जैसे सुप्रीम कोर्ट में रजिस्ट्रार।
- समय: जवाब/अस्वीकृति से 30 दिन।
- प्रारूप: मूल आवेदन, PIO जवाब संलग्न; कारण स्पष्ट।
- शुल्क: मुफ्त।
- जमा: ऑनलाइन/ऑफलाइन।
- समय: 30-45 दिन।
दूसरी अपील
- किसे: CIC (cic.gov.in) या SIC
- समय: प्रथम अपील से 90 दिन।
- प्रारूप: सभी दस्तावेज संलग्न।
- शुल्क: मुफ्त।
- प्रक्रिया: सुनवाई, बाध्यकारी आदेश।
- 2025 अपडेट: लंबित अपीलों की संख्या बढ़ी।
अपवाद और मांगने योग्य जानकारी
अपवाद
- न्यायिक कार्यवाही: लंबित केस के दस्तावेज।
- गोपनीयता: कॉलेजियम, व्यक्तिगत जानकारी।
- 2023 दिल्ली हाई कोर्ट: RTI न्यायिक निगरानी के लिए नहीं।
मांगने योग्य जानकारी
- प्रशासनिक: बजट, स्टाफ, भर्ती।
- प्रक्रियात्मक: केस स्टेटस (पक्षकार के लिए)।
- लोकहित: न्यायिक सुधार, संपत्ति घोषणा।
सुझाव
- स्पष्टता: अस्पष्ट RTI अस्वीकार हो सकती है।
- वेबसाइट: PIO/FAA विवरण sci.gov.in, highcourt.nic.in पर।
- फ्रिवोलस RTI: ₹50,000 तक जुर्माना।
- डिजिटल प्राथमिकता: 2025 में डिजिटल फॉर्मेट तेज।
- कानूनी सलाह: जटिल मामलों में विशेषज्ञ से संपर्क।
- ट्रैकिंग: पेंडेंसी के कारण नियमित जांच।
RTI न्यायपालिका में पारदर्शिता लाता है और लोकतंत्र को मजबूत करता है। 2025 की डिजिटल प्रगति और चुनौतियों के बावजूद, यह नागरिकों का शक्तिशाली हथियार है। इसका जिम्मेदारी से उपयोग करें। अधिक जानकारी के लिए rtionline.gov.in या cic.gov.in या अपने संबंधित राज्य के जिला कोर्ट /हाईकोर्ट के वेबसाइट पोर्टल पर RTI को सर्च करें।
Frequently Asked Questions (FAQs)
Q1. क्या सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट RTI के तहत आते हैं?
👉 हाँ, सुप्रीम कोर्ट और सभी हाई कोर्ट RTI Act 2005 के तहत Public Authority माने जाते हैं। इनके पास PIO (Public Information Officer) नियुक्त होते हैं जो RTI आवेदन स्वीकार करते हैं।
Q2. कोर्ट से RTI सूचना प्राप्त करने के लिए फीस कितनी होती है?
👉 सामान्यत: RTI आवेदन के लिए ₹10 फीस देनी होती है। यह Indian Postal Order, Demand Draft या Court Rules के अनुसार दी जा सकती है।
Q3. RTI के ज़रिए किन-किन प्रकार की जानकारी कोर्ट से ली जा सकती है?
👉 कोर्ट की प्रशासनिक जानकारी, केस स्टेटस, बजट और खर्च से जुड़ी जानकारी, और कोर्ट नोटिफिकेशन जैसी सूचनाएँ RTI से प्राप्त की जा सकती हैं।
Q4. क्या RTI के माध्यम से जजों के निर्णय या विचारों की जानकारी ली जा सकती है?
👉 नहीं, RTI के जरिए किसी जज की व्यक्तिगत राय, विचार-विमर्श या केस की सुनवाई प्रक्रिया से संबंधित जानकारी नहीं मांगी जा सकती।
Q5. अगर कोर्ट 30 दिनों में RTI का जवाब नहीं देता तो क्या करना चाहिए?
👉 अगर 30 दिनों के भीतर जवाब नहीं मिलता, तो आप First Appeal दायर कर सकते हैं। इसके बाद भी समाधान न मिले तो Central Information Commission (CIC) या State Information Commission में अपील कर सकते हैं।