पेंशन भुगतान: राजस्थान के विश्विद्यालयों में पेंशनर्स कर रहे हैं प्रदर्शन; क्या है इनकी डिमांड ?

Published on: 01-08-2025
राजस्थान यूनिवर्सिटी पेंशनर्स

सेवानिवृत शिक्षकों और कर्मचारियों को सरकारी ट्रेज़री से पेंशन भुगतान की मांग

राजस्थान सरकार द्वारा वित पोषित सभी विश्वविद्यालयों के सेवानिवृत शिक्षकों और कर्मचारियों को सरकारी ट्रेज़री से पेंशन भुगतान की मांग को लेकर दिनांक 1 अगस्त 2025 को न्यू कैंपस उदयपुर में महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय उदयपुर,सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर तथा राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय बीकानेर के 200 से अधिक पेंशनरों तथा कार्यरत कर्मचारियों ने डाक्टर सुरेंद्र कुमार भटनागर, भारत व्यास तथा अध्यक्ष शिक्षणेत्तर कर्मचारी संघ सुखाड़िया विश्वविद्यालय के नेतृत्व में अपनी मांग को पूरी करने के लिए नारे लगाते हुए राज्य सरकार तथा विश्वविद्यालय प्रशासन के विरुद्ध धरना प्रदर्शन किया।

उल्लेखनीय है कि दिनांक 23 .07. 2025 को म. प्र. कृ .प्रौ .विश्वविद्यालय पेंशनर्स वेलफेयर सोसाइटी के कार्यालय में समन्वय कमिटी की बैठक आयोजित की गई थी।उपस्थित सभी सदस्यों ने सभी राजकीय वित्त पोषित यूनिवर्सिटीज के पेंशनर्स की पेंशन के स्थायी समाधान के लिये जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर 65 दिन से चल रहे आंदोलन में सक्रिय सहयोग देने का निर्णय लिया । 

—वर्तमान में चल रहे आंदोलन में समस्त विश्व विद्यालय के सभी कर्मचारी एवं पेंशनर्स काली पट्टी बाह पर बांध कर अपना राज्य सरकार एवं विवि प्रशासन के विरोध में प्रदर्शन पूर्ववत जारी रखेंगे ।

यूँ चलेगा आन्दोलन

—दिनांक 01.08.2025  से 06 08.2025 तक रोजाना  सभी विश्वविद्यालय के पेंशनर्स और कार्यरत कर्मचारी 01 pm से 2 pm एक घंटे तक आर्ट कॉलेज के दूसरे गेट से सी टी ए ई  के गोल्डन जुबली गेट के मध्य प्रदर्शन नारे बाजी करेंगे ।

दिनांक 05 .08.2025 को  समन्वय कॉमिटी के पदाधिकारी 11.30 को प्रेस कांफ्रेंस करेंगे प्रेसवार्ता में पेंशनर्स की राज्य सरकार से अपनी मांगों के बारे में विस्तृत चर्चा करेंगे ,पेंशनर्स कीआर्थिक कठिनाई बताएंगे ।

–दिनांक 07 .08.2025 को 10.30 am पर उदयपुर के सरकार द्वारा वित्त पोषित समस्त  विश्वविद्यालय के पेंशनर्स एवं रेगुलर कर्मचारि राजस्थान कृषि कॉलेज के मुख्य द्वार पर इकठ्ठे होंगे । 11.00 am को जिलाधीश महोदय को ज्ञापन देने हेतु कलेक्टर ऑफिस के लिए पैदल /वाहन रैली के रूप नारे ,प्रदर्शन करते पहुँचेगे।

–पेंशनर्स कोआर्डिनेशन कॉमिटी के सदस्यों एवं विश्व विद्यालय के पेंशनर्स एवं कर्मचारी एवं टीचर्स संघ के पदाधिकारियों से निवेदन है कि धरना प्रदर्शन एवं रैली को सफल बनाने की लिए अपनी अपनी यूनिट के पेंशनर्स एवं अध्यापक गण एवं कार्यरत कर्मचारियों में यह प्रोग्राम अधिक से अधिक सर्कुलेट करने और उनकी अधिक से अधिक उपस्थिति एवं भागीदारी सुनिश्चित करावे ।

32 यूनिवर्सिटीज में ये समस्या


राजस्थान में एमडीएस विश्वविद्यालय से लेकर 32 राज्य वित्त पोषित विश्वविद्यालयों में पेंशन अटकने का मामला सामने आया है। जिसमें लगभग 7774 सेवा में निवृत्त शिक्षकों की पेंशन को बीच में अटका दिया गया है। वहीं बता दें कि सबसे अधिक पेंशन की राशि राजस्थान यूनिवर्सिटी के रिटायर शिक्षकों की है। जिसके बारें में अंदाजा लगाया गया कि वो राशि लगभग 140 करोड़ रुपए है। वहीं एमडीएस यूनिवर्सिटी में 50 लाख का अनुमान लगाया गया है।

बता दें कि इसमें विश्वविद्यालय के साथ सरकार की भी लापरवाही सामने आयी है कि सरकार ने पेंशन प्रदान किए जाने के कार्यकाल को विश्वविद्यालयों को सौंपा। जिसकी वजह से पेंशन अटकने जैसी समस्या सामने आयी है। इसको लेकर एक बात ये भी सामने आयी है कि सात महीने से शिक्षकों को पेंशन नहीं दी जा रही है। वहीं छात्रों की संख्या कम होने की वजह से पर्याप्त फीस नहीं होने से यूनिवर्सिटी फंड के विषय को लेकर चिंता में है।

आपको बता दें राजस्थान के राज्य-वित्त पोषित विश्वविद्यालयों के पेंशनरों ने अपनी मांगों को लेकर 25 फरवरी को जयपुर में एक बड़ा धरना प्रदर्शन किया था। यह प्रदर्शन अखिल राजस्थान राज्य-वित्त पोषित विश्वविद्यालय पेंशनर फेडरेशन, जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय पेंशनर सोसाइटी और अखिल राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय पेंशनर फेडरेशन के आह्वान पर आयोजित किया गया था। पेंशनरों ने शहीद स्मारक, पुलिस आयुक्त कार्यालय के सामने अपने वैधानिक और न्यायोचित अधिकारों के लिए शांतिपूर्वक विशाल प्रदर्शन किया।

महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमपीयूएटी) के पेंशनरों ने भी इस प्रदर्शन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। एमपीयूएटी के उदयपुर, भीलवाड़ा, राजसमंद, चित्तौड़गढ़, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ और डूंगरपुर केंद्रों से 65 से अधिक पेंशनरों ने धरने में भाग लिया। इस प्रदर्शन में पूर्व कुलपति डॉ. ओ.पी. गिल, कई वरिष्ठ प्रोफेसर, प्राचार्य और सेवानिवृत्त कर्मचारी भी शामिल हुए।

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