राजस्थान की अदालतों में कामकाज होगा ठप्प- न्यायिक कर्मचारी 18 जुलाई से अनिश्चितकालीन सामूहिक अवकाश पर

Published on: 17-07-2025
राजस्थान कोर्ट्स

राजस्थान न्यायिक कर्मचारी संघ का आरोप है कि राज्य सरकार ने माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा पारित प्रस्ताव और अधिसूचना (25 मई 2022 व 4 अक्टूबर 2022) के बावजूद सामान्य संवर्ग और आशुलिपिक संवर्ग के कैडर पुनर्गठन पर कोई कार्रवाई नहीं की है।

जयपुर- राजस्थान के अधीनस्थ न्यायालयों और जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों के न्यायिक कर्मचारियों ने अपने संवर्गीय पुनर्गठन की मांग को लेकर 18 जुलाई 2025 से अनिश्चितकालीन सामूहिक अवकाश (हड़ताल) पर जाने का फैसला किया है। यह निर्णय राजस्थान न्यायिक कर्मचारी संघ की प्रदेशव्यापी जनसभा में लिया गया, जिसमें सभी जिलों के पदाधिकारियों ने एकमत से मांगों को लेकर आंदोलन को तेज करने का समर्थन किया।

कर्मचारी संघ का आरोप है कि राज्य सरकार ने माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा पारित प्रस्ताव और अधिसूचना (25 मई 2022 व 4 अक्टूबर 2022) के बावजूद सामान्य संवर्ग और आशुलिपिक संवर्ग के कैडर पुनर्गठन पर कोई कार्रवाई नहीं की है। उच्च न्यायालय ने इस संबंध में 8 जून 2023 को राज्य सरकार को आदेश जारी करने का निर्देश दिया था, लेकिन दो साल बीत जाने के बाद भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

संघ के प्रदेशाध्यक्ष सुरेंद्र नारायण जोशी ने बताया, ” कि अधीनस्थ न्यायालयों/जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में पदस्थापित सामान्य संवर्ग और आशुलिपिक संवर्ग का कैडर पुनर्गठन राज्य सरकार की अधिसूचना दिनांक 25-05-2022 04-10-2022 के परिप्रेक्ष्य में किया जाना है। उक्त अधिसूचना के परिप्रेक्ष्य में कार्मिकों के विभागाध्यक्ष माननीय राजस्थान उच्य न्यायालय द्वारा प्रस्ताव बनाकर तथा प्रस्ताव को राजस्थान उच्च न्यायालय की Full Bench से पास करवाकर संबंधित जिला न्यायालय लिपिक वर्गीय संस्थापन नियम, 1988 में भी संशोधित करवाकर दिनांक 08-06-2023 को राज्य सरकार को आदेश पारित करने हेतु भेजा जा चुका है। दिनांक 06-05-2023 से आज तक 02 वर्ष पूर्ण होने पर भी राज्य सरकार द्वारा कोई आदेश पारित नहीं किये गये है और राज्य सरकार राजस्थान उच्च न्यायलय की पूर्ण पीठ से पारित आदेश/प्रस्ताव की पालना सुनिश्चित नहीं कर रही है, जो कि संवैधानिक संस्था के आदेशों की अवहेलना है।”

संवैधानिक संस्था माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना राज्य सरकार द्वारा किये जाने पर अधीनस्थ न्यायालयों के समस्त कर्मचारियों द्वारा निर्णय लिया गया है कि राज्य सरकार द्वारा माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय के प्रस्ताव/आदेश की अवहेलना करने पर राज्य सरकार के विरुद्ध 17-07-2025 को चौथे दिवस भी लगातार संघ के प्रदेशाध्यक्ष सुरेन्द्र नारायण जोशी एवं बृजेश कुमार शर्मा, पूर्व जयपुर जिलाध्यक्ष अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे हुये है। उसके बावजूद भी आज दिवस तक राज्य सरकार द्वारा पुनर्गठन बाबत कोई कार्यवाही नहीं की गई है।

हड़ताल की पृष्ठभूमि

  • 6 मई 2023 से लंबित मांगों को लेकर कर्मचारी पहले ही विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।
  • संघ के प्रदेशाध्यक्ष सुरेंद्र नारायण जोशी और पूर्व जयपुर जिलाध्यक्ष बृजेश कुमार शर्मा लगातार चौथे दिन भूख हड़ताल पर बैठे हैं।
  • 17 जुलाई को हुई मीटिंग में प्रदेशव्यापी जनसभा में सभी जिलों के प्रतिनिधियों ने हड़ताल का समर्थन किया।

18 जुलाई से प्रदेश के सभी अधीनस्थ न्यायालयों और जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों के कर्मचारी काम पर नहीं जाएंगे, जिससे न्यायिक प्रक्रियाओं में व्यवधान आने की आशंका है। संघ ने स्पष्ट किया कि पुनर्गठन के आदेश जारी होने तक हड़ताल जारी रहेगी।

अब तक सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन न्यायिक कर्मचारियों का यह आंदोलन राज्य की कानून-व्यवस्था और न्याय प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है।

राजस्थान की सभी अधीनस्थ अदालतों और जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों में 18 जुलाई से कामकाज प्रभावित हो जायेगा। न्यायिक कर्मचारियों के अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने से सुनवाई, केस दर्ज करने, दस्तावेज जमा करने और आदेशों का क्रियान्वयन जैसी सभी न्यायिक प्रक्रियाएं प्रभावित होंगी। इससे प्रदेशभर में हजारों मामलों की सुनवाई में देरी, नए केसों का निस्तारण रुकना या सुनवाई पर असर पड़ेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि हड़ताल लंबी चली तो न्याय प्रणाली में गंभीर अवरोध पैदा हो सकता है, जिसका सीधा असर आम नागरिकों पर पड़ेगा।

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