नई दिल्ली | GST 2.0 के ऐलान के बाद से ही कार बाजार में एक बड़ी बहस छिड़ गई है। जहाँ एक तरफ छोटी पेट्रोल कारें अब तक की सबसे बड़ी टैक्स कटौती के बाद बेहद सस्ती हो गई हैं, वहीं इलेक्ट्रिक गाड़ियाँ (EVs) अपने पुराने 5% GST पर ही कायम हैं। ऐसे में हर कार खरीदार के मन में एक ही सवाल है – “क्या अब एक पेट्रोल कार खरीद लेना, EV के मुकाबले ज्यादा फायदे का सौदा है?”
अगर आप भी इसी कन्फ्यूजन में हैं, तो आप बिलकुल सही जगह पर हैं। हम आपको सिर्फ खबरें नहीं बताएंगे, बल्कि टैक्स का पूरा गणित आसान भाषा में समझाएंगे ताकि आप अपनी मेहनत की कमाई के लिए सबसे सही फैसला ले सकें।
राउंड 1: खरीद की कीमत (Upfront Cost) – पेट्रोल कार का सीधा नॉकआउट!
किसी भी गाड़ी को खरीदने का पहला और सबसे बड़ा फैक्टर उसकी कीमत होती है। और यहीं पर GST 2.0 ने पूरा खेल बदल दिया है।
- पेट्रोल कार (छोटी): इन पर GST 28% से घटकर सीधा 18% हो गया है। यह 10% की भारी कटौती है!
- इलेक्ट्रिक कार (EV): इन पर GST पहले की तरह ही 5% पर बना हुआ है।
आइए इसे भारत की सबसे लोकप्रिय कार, Tata Nexon, के उदाहरण से समझते हैं:
कार मॉडल | पुरानी अनुमानित कीमत (एक्स-शोरूम) | नई अनुमानित कीमत (22 सितंबर के बाद) | सीधी बचत |
Tata Nexon (पेट्रोल) | ₹ 8.15 लाख | ₹ 7.35 लाख | ₹ 80,000 |
Tata Nexon (EV) | ₹ 14.50 लाख | ₹ 14.50 लाख | कोई बदलाव नहीं |
नतीजा: नई टैक्स दरों के बाद एक पेट्रोल कार और उसी मॉडल की EV के बीच कीमत का अंतर बहुत ज्यादा बढ़ गया है। अगर आपका बजट टाइट है और आप कम से कम डाउन पेमेंट में गाड़ी घर लाना चाहते हैं, तो पेट्रोल कार यहाँ साफ तौर पर विजेता है।
राउंड 2: गाड़ी चलाने का खर्च (Running Cost) – EV का जबरदस्त पलटवार!
गाड़ी खरीदना एक बार का खर्च है, लेकिन उसे चलाना रोज का। और यहीं पर इलेक्ट्रिक कारें अपना असली जादू दिखाती हैं।
आइए 100 किलोमीटर चलने का खर्च निकालें:
- पेट्रोल कार (माइलेज 17 kmpl):
- लगभग 6 लीटर पेट्रोल लगेगा।
- ₹95/लीटर के हिसाब से खर्च: 6 x 95 = ₹570
- यानी लगभग ₹5.7 प्रति किलोमीटर।
- इलेक्ट्रिक कार (EV):
- लगभग 15 यूनिट (kWh) बिजली लगेगी।
- ₹8/यूनिट (घर की बिजली) के हिसाब से खर्च: 15 x 8 = ₹120
- यानी लगभग ₹1.2 प्रति किलोमीटर।
नतीजा: चलाने के खर्च में EV, पेट्रोल कार को बुरी तरह पछाड़ देती है। अगर आप रोज 50-60 किलोमीटर या उससे ज्यादा चलते हैं, तो EV पर बचाया गया पेट्रोल का पैसा कुछ ही सालों में गाड़ी की बढ़ी हुई कीमत की भरपाई कर सकता है।
राउंड 3: मेंटेनेंस और सर्विस – EV फिर से आगे
पेट्रोल कार में इंजन, गियरबॉक्स, साइलेंसर जैसे सैकड़ों मूविंग पार्ट्स होते हैं, जिनकी नियमित सर्विस और ऑयल चेंज की जरूरत होती है। वहीं, EV में मूविंग पार्ट्स बहुत कम होते हैं, जिससे उनका मेंटेनेंस खर्च पेट्रोल कार के मुकाबले लगभग आधा या उससे भी कम होता है।
नतीजा: लंबी अवधि में सर्विस और मेंटेनेंस पर होने वाले खर्च के मामले में EV एक ज्यादा किफायती विकल्प है।
आखिरी फैसला: आपके लिए क्या है सही?
GST 2.0 ने यह फैसला और भी दिलचस्प बना दिया है। कोई एक जवाब सबके लिए सही नहीं है। फैसला आपकी जरूरतों पर निर्भर करेगा।
पेट्रोल कार आपके लिए है, अगर…
- आपका बजट कम है और आप कम डाउन पेमेंट देना चाहते हैं।
- आप अक्सर लंबे सफर (हाईवे पर) पर जाते हैं और चार्जिंग की चिंता नहीं चाहते।
- आपके पास घर पर गाड़ी चार्ज करने की अपनी जगह नहीं है।
- आपकी गाड़ी का रोजाना इस्तेमाल बहुत कम है।
इलेक्ट्रिक कार (EV) आपके लिए है, अगर…
- आपका बजट थोड़ा ज्यादा है और आप लंबी अवधि की बचत देख रहे हैं।
- आपकी गाड़ी रोज 50 किलोमीटर से ज्यादा चलती है (शहर के अंदर)।
- आपके पास घर या ऑफिस में एक डेडिकेटेड चार्जिंग पॉइंट है।
- आप पर्यावरण की परवाह करते हैं और एक शांत, वाइब्रेशन-फ्री ड्राइविंग अनुभव चाहते हैं।
निष्कर्ष: GST 2.0 ने पेट्रोल कारों को एक बेहद आकर्षक शुरुआती विकल्प (Upfront Choice) बना दिया है। लेकिन लंबी दौड़ में असली बचत (Long-term Savings) का ताज अभी भी EV के सिर पर है। अपनी जेब, अपनी जरूरतें और अपनी रोज की ड्राइविंग को तौलें, और फिर फैसला करें कि आपके गैराज में कौन सी गाड़ी खड़ी होगी।
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