Online Petition | कोलकाता में ‘पंचम दा’ के घर को बचाने के लिए संगीत प्रेमी कर रहे हैं क्या-क्या जतन?

‘Save the house of S D Burman and R D Burman’ 

कोलकाता– भारतीय सिनेमा के दो महान संगीतकारों, सचिन देव बर्मन (एस.डी. बर्मन) और उनके पुत्र राहुल देव बर्मन (आर.डी. बर्मन), जिन्हें प्यार से ‘पंचम दा’ कहा जाता है, के कोलकाता स्थित ऐतिहासिक घर को बचाने के लिए संगीत प्रेमियों ने एक अभूतपूर्व मुहिम Online Petition शुरू की है। दक्षिण कोलकाता के साउथ एंड पार्क में स्थित 36/1 नंबर का यह घर, जो कभी इन दोनों संगीतकारों का निवास स्थान था, अब जीर्ण-शीर्ण हालत में है। इस घर को नष्ट होने से बचाने और इसे एक संग्रहालय में तब्दील करने के लिए अभिजीत दासगुप्ता, जो आर.डी. बर्मन के मामा हैं, ने ‘सेव द लिगेसी ऑफ एस.डी. एंड आर.डी. बर्मन’ नामक एक Online Petition शुरू की है। इस याचिका को मात्र तीन दिनों में 4000 से अधिक लोगों का समर्थन प्राप्त हो चुका है, जो इस घर के सांस्कृतिक महत्व को दर्शाता है।

साउथ एंड पार्क, कोलकाता में स्थित यह तीन मंजिला घर 1945 में एस.डी. बर्मन द्वारा बनवाया गया था। यह वही स्थान है जहाँ आर.डी. बर्मन ने अपने बचपन के 15 साल बिताए और संगीत की प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की। इस घर में उस समय के कई महान संगीतकार और कलाकार, जैसे उस्ताद अलाउद्दीन खान, गुरु दत्त, सलिल चौधरी और हेमंत मुखर्जी, आया-जाया करते थे। यह घर न केवल बर्मन परिवार का निवास था, बल्कि यह भारतीय संगीत के स्वर्ण युग का एक साक्षी भी है।

हालांकि, 2006 में कोलकाता नगर निगम (केएमसी) द्वारा इसे क्लास IIB हेरिटेज बिल्डिंग घोषित किए जाने के बावजूद, इस घर की स्थिति बेहद खराब हो चुकी है। इसकी दीवारें ढहने की कगार पर हैं, और पिछले साल एक कंक्रीट का स्लैब गिरने से राहगीरों को खतरा पैदा हो गया था। स्थानीय निवासियों और संगीत प्रेमियों का कहना है कि यह घर अब एक निर्माण सामग्री के डंपिंग ग्राउंड में तब्दील हो चुका है। कई बार इसकी मरम्मत और इसे संग्रहालय में बदलने के वादे किए गए, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

याचिका क्यों शुरू की गई?

इस घर को बचाने की मुहिम को गति देने के लिए अभिजीत दासगुप्ता ने change.org पर एक याचिका शुरू की, जिसका उद्देश्य सरकार और संबंधित अधिकारियों का ध्यान इस ओर आकर्षित करना है। याचिका में मांग की गई है कि इस घर को नष्ट होने से बचाया जाए और इसे एक संग्रहालय में बदला जाए, जो एस.डी. और आर.डी. बर्मन की संगीतमय विरासत को संरक्षित करे। यह याचिका संगीत प्रेमियों, कलाकारों और आम लोगों से अपील करती है कि वे इस ऐतिहासिक स्थल को बचाने के लिए हस्ताक्षर करें।

अभिजीत दासगुप्ता, जो इस घर के पड़ोस में रहते हैं, ने बताया कि यह घर भारतीय सिनेमा और संगीत के इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। उन्होंने कहा, “यह केवल एक इमारत नहीं है; यह उस संगीत का प्रतीक है जिसने पीढ़ियों को प्रेरित किया है। इसे एक संग्रहालय में बदलना न केवल बर्मन परिवार की विरासत को सम्मान देगा, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा स्थल भी बनेगा।”

संगीत प्रेमी इसे संग्रहालय में क्यों बदलना चाहते हैं?

एस.डी. और आर.डी. बर्मन ने भारतीय सिनेमा में अपनी अनूठी शैली से संगीत की दुनिया को समृद्ध किया। एस.डी. बर्मन ने 100 से अधिक फिल्मों के लिए संगीत दिया, जिनमें ‘प्यासा’, ‘कागज़ के फूल’, ‘गाइड’ और ‘मिली’ जैसी कालजयी फिल्में शामिल हैं। वहीं, आर.डी. बर्मन ने 331 फिल्मों के लिए संगीत रचा और ‘शोले’, ‘कटी पतंग’, ‘अमर प्रेम’ और ‘1942: अ लव स्टोरी’ जैसी फिल्मों में अपने नवाचारों से बॉलीवुड को नया आयाम दिया।

इस घर का महत्व केवल बर्मन परिवार तक सीमित नहीं है। यहाँ कई प्रतिष्ठित गायकों और संगीतकारों ने समय बिताया, जिनमें किशोर कुमार, लता मंगेशकर, आशा भोसले और मोहम्मद रफी शामिल हैं। इस घर में आर.डी. बर्मन ने तबला और हारमोनिका बजाना सीखा और पश्चिमी संगीत के प्रति अपनी रुचि विकसित की। यह वह स्थान है जहाँ ‘तकदम तकदम’ जैसे गीतों की रचना हुई।

संगीत प्रेमी और याचिका के समर्थक चाहते हैं कि यह घर एक जीवंत संग्रहालय के रूप में परिवर्तित हो, जहाँ:

  1. संग्रहालय में एस.डी. और आर.डी. बर्मन के जीवन, उनके संगीत और उनके योगदान को दर्शाने वाली प्रदर्शनियाँ होंगी।
  2. यहाँ युवा संगीतकारों के लिए कार्यशालाएँ और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा सकते हैं।
  3. यह संग्रहालय संगीत प्रेमियों के लिए एक तीर्थस्थल बन सकता है, जहाँ वे बर्मन परिवार के संगीत को सुन सकें और उनकी रचनात्मक प्रक्रिया को समझ सकें।

पिछले कुछ वर्षों में इस घर को बचाने और इसे संग्रहालय में बदलने की कई कोशिशें हुई हैं। 2018 में, पश्चिम बंगाल हेरिटेज कमीशन के अध्यक्ष शुभप्रसन्ना ने इस मुद्दे को उठाने का वादा किया था। 2021 में, कोलकाता नगर निगम के प्रशासक बोर्ड के अध्यक्ष फिरहाद हाकिम ने घर के सह-मालिक निशीथ कुमार तोतला के साथ इस पर चर्चा की थी, और इसे खरीदकर संग्रहालय में बदलने की योजना बनाई गई थी। इसके अलावा, सड़क का नाम बदलकर ‘संगीत सरणी’ कर दिया गया, जो बर्मन परिवार को सम्मानित करने का एक प्रयास था।

हालांकि, इन प्रयासों के बावजूद, कोई ठोस प्रगति नहीं हुई। घर की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है, और वर्तमान मालिकों के साथ सहमति बनाने में कानूनी और प्रशासनिक अड़चनें आ रही हैं। याचिका के माध्यम से संगीत प्रेमी अब सरकार और स्थानीय प्रशासन पर दबाव डाल रहे हैं कि इस ऐतिहासिक धरोहर को बचाने के लिए तत्काल कदम उठाए जाएँ।

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