तिरुवनंतपुरम- हेमा कमेटी की रिपोर्ट के बाद चर्चा के केंद्र में आया मलयालम मूवी आर्टिस्ट्स एसोसिएशन (AMMA) एक ऐतिहासिक क्षण की ओर बढ़ रहा है, क्योंकि लोकप्रिय अभिनेत्री श्वेता मेनन इसके तीन दशक के इतिहास में पहली महिला अध्यक्ष बनने की प्रबल दावेदार के रूप में उभरी हैं। 17 सदस्यीय कार्यकारी समिति के लिए नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि में अब केवल दो दिन शेष हैं, और सीनियर अभिनेता जगदीश द्वारा अध्यक्ष पद के लिए अपनी उम्मीदवारी वापस लेने की घोषणा के बाद मेनन का रास्ता साफ होता दिख रहा है। मंगलवार को अभिनेता रवीन्द्रन ने भी अध्यक्ष पद के लिए अपना नाम वापस ले लिया। एसोसिएशन के विभिन्न पदों में अध्यक्ष, दो उपाध्यक्ष, महासचिव, संयुक्त सचिव, कोषाध्यक्ष और 11 कार्यकारी सदस्य शामिल हैं, जिसके लिए कुल 74 नामांकन पत्र दाखिल किए गए हैं। गुरुवार, 31 जुलाई तक नामांकन वापसी की अंतिम तिथि है, उसके बाद यह स्पष्ट हो जाएगा कि क्या मेनन बिना किसी विरोध के अध्यक्ष बनेंगी या फिर चुनाव की प्रक्रिया होगी।
70 वर्षीय अभिनेता और हास्य कलाकार जगदीश ने मीडिया को बताया कि उनकी उम्मीदवारी वापस लेने का निर्णय वरिष्ठ अभिनेताओं ममूटी, मोहनलाल और केंद्रीय राज्य मंत्री सुरेश गोपी के साथ परामर्श के बाद लिया गया। उन्होंने AMMA के भीतर एक महिला के नेतृत्व की बढ़ती भावना को रेखांकित करते हुए कहा कि उद्योग के दिग्गजों ने भी इसका समर्थन किया। जगदीश ने कहा, “2021 में, जब दो महिलाओं को उपाध्यक्ष बनाने की बात उठी थी, तब मैंने अपना नामांकन वापस ले लिया था। अब, AMMA का नेतृत्व एक महिला के हाथ में देने की चर्चा है, और मुझे लगा कि मुझे इसके रास्ते में नहीं आना चाहिए”। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि मेनन का अध्यक्ष बनना अभी निश्चित नहीं है, क्योंकि अन्य दावेदार अभी भी मैदान में हैं। यदि वे नामांकन वापस नहीं लेते, तो AMMA के लगभग 500 पात्र सदस्य 15 अगस्त को होने वाले चुनाव में मतदान करेंगे।
मेनन की संभावित नेतृत्व भूमिका ऐसे समय में सामने आ रही है, जब AMMA विवादों के केंद्र में है। अगस्त 2024 में जस्टिस हेमा समिति की रिपोर्ट ने मलयालम फिल्म उद्योग में यौन उत्पीड़न, शोषण और पुरुष-प्रधान सत्ता संरचना की व्यवस्थित समस्याओं को उजागर किया था, जिसके बाद AMMA की पूरी कार्यकारी समिति, जिसमें तत्कालीन अध्यक्ष मोहनलाल भी शामिल थे, ने इस्तीफा दे दिया था। महासचिव सिद्दीकी और संयुक्त सचिव बाबूराज जैसे प्रमुख सदस्यों पर यौन दुराचार के आरोपों ने व्यापक आक्रोश को जन्म दिया और सुधारों की मांग को बढ़ाया। मेनन ने स्वयं बाबूराज के इस्तीफे की मांग की थी, और उन्होंने वरिष्ठता की परवाह किए बिना जवाबदेही की आवश्यकता पर जोर दिया था। इस विवाद ने AMMA में महिलाओं की नेतृत्वकारी भूमिकाओं में अधिक प्रतिनिधित्व की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित किया, जिसके लिए मेनन ने सार्वजनिक रूप से समर्थन किया है और संगठन के भीतर प्रणालीगत परिवर्तनों की वकालत की है।
यदि मेनन चुनी जाती हैं, तो वे न केवल AMMA की पहली महिला अध्यक्ष बनकर कांच की छत तोड़ेंगी, बल्कि संगठन को इसके चल रहे सुधारों के माध्यम से नेतृत्व देने की जिम्मेदारी भी संभालेंगी। 2021 में AMMA की पहली महिला उपाध्यक्ष के रूप में उनकी पिछली भूमिका और उद्योग में दुराचार के खिलाफ उनकी मुखर रुख उन्हें परिवर्तन के लिए प्रतिबद्ध उम्मीदवार के रूप में स्थापित करता है। जैसे-जैसे नामांकन वापसी की अंतिम तिथि नजदीक आ रही है, सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या मेनन बिना किसी विरोध के अध्यक्ष बनेंगी या लोकतांत्रिक प्रतिस्पर्धा में विजयी होकर AMMA के लिए एक नए अध्याय की शुरुआत करेंगी।
क्या है हेमा कमेटी की रिपोर्ट ?
मलयालम फिल्म उद्योग पर अगस्त 2024 में जस्टिस हेमा समिति की रिपोर्ट ज़ारी की गई। इसमें मलयालम फिल्म उद्योग में महिलाओं के साथ यौन शोषण, भेदभाव और अमानवीय व्यवहार के चौंकाने वाले मामले सामने आए हैं। इसका नेतृत्व केरल उच्च न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति के. हेमा ने किया, जिसमें अनुभवी अभिनेत्री शारदा और सेवानिवृत्त IAS अधिकारी के. बी. वलसा कुमारी शामिल थे। इसमें काम शुरू करने से पहले ही अवांछित शारीरिक प्रस्ताव, बलात्कार की धमकी, समझौता करने को लेकर सहमत होने वाली महिलाओं के लिये कोड नाम और अन्य शर्मनाक कृत्य शामिल हैं। रिपोर्ट से ‘कास्टिंग काउच’ की सर्वव्यापकता का पता चलता है, जहाँ महिलाओं पर प्रायः रोज़गार की संभावनाओं के लिये यौन संबंधों के लिये मजबूर किया जाता है
रिपोर्ट की मुख्य सिफारिशें
- इसने कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 के तहत आंतरिक शिकायत समिति (ICC) की अनिवार्य स्थापना का प्रस्ताव रखा। इसमें केरल फिल्म कर्मचारी संघ (FEFKA) और मलयालम मूवी आर्टिस्ट एसोसिएशन (AMMA) के सदस्य शामिल होने चाहिये।
- कुछ सदस्यों ने सिनेमा उद्योग में उत्पीड़न और भेदभाव के मामलों को संभालने हेतु एक स्वतंत्र न्यायाधिकरण का समर्थन किया । रिपोर्ट में न्यायाधिकरण में बंद कमरे में कार्यवाही की भी वकालत की गई है ताकि पूरी गोपनीयता सुनिश्चित की जा सके और मीडिया रिपोर्टों से नाम गुप्त रखे जाएँ।
- सिनेमा में कार्य करने वाले सभी लोगों के हितों की रक्षा के लिये जूनियर कलाकारों के संयोजकों सहित सभी श्रेणियों के कर्मचारियों के लिये लिखित अनुबंध पर हस्ताक्षर करना अनिवार्य बनाया जाना चाहिये।
- यह अनिवार्य किया जाना चाहिये कि सभी कलाकार और क्रू सदस्य निर्माण कार्य शुरू करने से पहले एक मौलिक लैंगिक जागरूकता प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लें। प्रशिक्षण सामग्री मलयालम और अंग्रेज़ी दोनों में बनाई जा सकती है तथा इसे ऑनलाइन भी उपलब्ध कराया जा सकता है।
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