Heavy Rain – राजस्थान में मानसून 2025 ने इस बार अभूतपूर्व कहर बरपाया है। जुलाई और अगस्त के महीनों में हुई रिकॉर्ड तोड़ बारिश ने राज्य के कई हिस्सों में बाढ़ जैसे हालात पैदा कर दिए हैं। मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, जुलाई 2025 में राजस्थान में औसतन 285 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो पिछले 69 वर्षों में जुलाई में हुई सबसे अधिक वर्षा में से एक है। यह आंकड़ा 1956 के 308 मिमी के रिकॉर्ड के करीब पहुंच गया है। कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, अलवर, धौलपुर, और जयपुर जैसे जिलों में भारी बारिश के कारण जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है, और कई इलाकों में जलभराव और बाढ़ की स्थिति बनी हुई है।

बारिश का कहर: बाढ़ और जलभराव
पिछले कुछ हफ्तों से राजस्थान में मानसून की सक्रियता ने कई जिलों को जलमग्न कर दिया है। कोटा बैराज के गेट खोले जाने से चंबल नदी का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया है, जिससे कोटा, बूंदी, और सवाई माधोपुर में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। जयपुर, अजमेर, सीकर, धौलपुर, और भीलवाड़ा जैसे जिलों में निचले इलाकों में पानी भर गया है, जिससे सड़कों, घरों, और सार्वजनिक स्थानों पर जलजमाव की स्थिति है। मौसम विभाग ने 24 अगस्त को भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़ के लिए रेड अलर्ट जारी किया है, जबकि 21 अन्य जिलों में भारी बारिश की चेतावनी दी गई है।
हनुमानगढ़ के पीलीबंगा में 110 मिमी, कोटा के सांगोद में 97 मिमी, और दौसा के निर्झरना में 83 मिमी बारिश दर्ज की गई है, जो सामान्य से कहीं अधिक है। सवाई माधोपुर के मलारना डूंगर क्षेत्र में कई गांवों का संपर्क मुख्यालय से कट गया है, और करेल गांव में घरों में 2 फीट तक पानी भर गया है। अजमेर में आनासागर झील के उफान पर होने से शहर के कई हिस्सों में जलभराव हुआ, और यहाँ तक कि जवाहरलाल नेहरू अस्पताल में भी पानी घुस गया।
मानवीय और आर्थिक नुकसान
भारी बारिश और बाढ़ ने राजस्थान में भारी तबाही मचाई है। पिछले डेढ़ महीने में बारिश से संबंधित हादसों में 80 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें 40 लोग डूबने और बहाव के कारण, 23 लोग मकान या दीवार गिरने से, और 17 लोग आकाशीय बिजली गिरने से मारे गए हैं। झालावाड़ जिले में सबसे अधिक 12 मौतें दर्ज की गई हैं। इसके अलावा, 47 लोग घायल हुए हैं, और 40 से अधिक पशुओं की मौत हुई है।
अजमेर के किशनगढ़ में तालाब में डूबने से तीन बच्चियों की मौत का दर्दनाक हादसा सामने आया, जबकि सवाई माधोपुर में एक चार साल के बच्चे की नाले में डूबने से मौत हो गई। बूंदी और टोंक में भी बहाव में लोगों के बहने की घटनाएँ दर्ज की गई हैं। फसलों को भी भारी नुकसान हुआ है, जिससे किसानों की आजीविका पर संकट मंडरा रहा है। ग्रामीण इलाकों में जलभराव के कारण कई परिवारों को अपने घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाना पड़ा है।
प्रशासन और राहत कार्य
राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन ने स्थिति से निपटने के लिए युद्धस्तर पर राहत कार्य शुरू किए हैं। कोटा और बूंदी में सेना, एनडीआरएफ, और एसडीआरएफ की टीमें राहत और बचाव कार्यों में जुटी हैं। सवाई माधोपुर में 95 लोगों और 49 मवेशियों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने जयपुर के सांगानेर क्षेत्र का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया और अधिकारियों को त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने बूंदी के केशोरायपाटन में जलभराव प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया, जबकि कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा और गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढम ने सवाई माधोपुर में राहत कार्यों की समीक्षा की।
राज्य के 10 जिलों में स्कूल बंद कर दिए गए हैं, और कई क्षेत्रों में यातायात व्यवस्था ठप हो गई है। जोधपुर के बनाड़ रोड पर जलभराव के कारण राहगीरों को जेसीबी की मदद से सड़क पार करनी पड़ी। मौसम विभाग ने अगले तीन दिनों (25-26 अगस्त) तक भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है, जिसके कारण प्रशासन ने लोगों से नदियों, नालों, और तालाबों के पास न जाने की अपील की है।
मौसम विभाग की चेतावनी और भविष्य की संभावनाएँ
मौसम विभाग के अनुसार, बंगाल की खाड़ी में बने कम दबाव के क्षेत्र और मानसून ट्रफ लाइन के प्रभाव से राजस्थान में भारी बारिश का सिलसिला जारी है। अगस्त के अंत तक बारिश की तीव्रता में कमी की उम्मीद है, लेकिन जयपुर, भरतपुर, और कोटा संभागों में अभी भी भारी बारिश की संभावना है। मौसम विभाग ने अजमेर, जोधपुर, नागौर, पाली, और सिरोही जैसे जिलों के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है, जबकि 38 जिलों में यलो अलर्ट लागू है।
बुनियादी ढांचे पर प्रभाव और समाधान की मांग
लगातार बारिश ने राजस्थान के बुनियादी ढांचे को भी प्रभावित किया है। जयपुर में जलभराव और टूटी सड़कों को लेकर कोर्ट ने मुख्य सचिव और नगर निगम अधिकारियों को नोटिस जारी किया है। पुष्कर में बार-बार जलभराव की समस्या के स्थायी समाधान की मांग उठ रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि जल निकासी प्रणाली को मजबूत करने और नदियों-नालों की सफाई पर ध्यान देने की जरूरत है ताकि भविष्य में ऐसी स्थितियों से बचा जा सके।
राजस्थान में मानसून 2025 ने जहां एक ओर पानी की कमी से जूझ रहे क्षेत्रों में राहत दी है, वहीं भारी बारिश ने कई चुनौतियाँ भी खड़ी की हैं। बाढ़, जलभराव, और हादसों ने राज्य को गंभीर संकट में डाल दिया है। हालांकि, सरकार और प्रशासन के प्रयासों से राहत कार्य जारी हैं, लेकिन लंबे समय तक चलने वाले समाधानों की जरूरत है। मौसम विभाग की चेतावनियों को ध्यान में रखते हुए, लोगों को सावधानी बरतने और सुरक्षित स्थानों पर रहने की सलाह दी जा रही है।