भारत सरकार का E20 Ethanol Blending Target क्यों है ज़रूरी? जानिए इसके फायदे, चुनौतियाँ और वाहन पर असर
क्या है Ethanol Blended Petrol?
Ethanol blended petrol, यानी एथेनॉल मिलाया गया पेट्रोल, पारंपरिक पेट्रोल और एथेनॉल (एक बायोफ्यूल) का मिश्रण होता है। एथेनॉल को गन्ना, मक्का, चावल जैसे पौधों और कृषि अपशिष्ट से बनाया जाता है। भारत में अभी सबसे सामान्य रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला मिश्रण E10 है — जिसमें 10% एथेनॉल और 90% पेट्रोल होता है। लेकिन अब सरकार ने E20 (20% एथेनॉल) की ओर तेज़ी से कदम बढ़ाया है।
इस बदलाव का मकसद सिर्फ पर्यावरण संरक्षण नहीं, बल्कि देश की energy security, किसानों की आमदनी और आयात पर निर्भरता को कम करना भी है।
क्यों बढ़ रही है Ethanol Blending की ज़रूरत?
भारत लगभग 85% कच्चे तेल की ज़रूरतों को आयात करता है, जिससे विदेशी मुद्रा पर दबाव पड़ता है। ऐसे में ethanol blended petrol एक स्वदेशी विकल्प के रूप में सामने आया है। 2014 के बाद से देश ने ₹1.4 लाख करोड़ से ज़्यादा की विदेशी मुद्रा की बचत की है और करीब 193 लाख टन कच्चा तेल इसके ज़रिए बदला गया है।
सिर्फ इतना ही नहीं, किसानों को सीधे एथेनॉल बेचने से ₹1.2 लाख करोड़ से ज़्यादा का भुगतान हुआ है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली है।
वाहन पर क्या होता है असर?
अब सवाल ये है कि क्या E20 से गाड़ी की परफॉर्मेंस या माइलेज पर असर पड़ता है?
सरकार और विशेषज्ञों के मुताबिक, E10 के लिए बने वाहन अगर E20 पर चलाए जाएँ तो माइलेज में 1-2% तक की कमी हो सकती है। अन्य वाहनों में ये गिरावट 3-6% तक जा सकती है। हालांकि, अगर गाड़ी E20 compatible है या उसमें जरूरी बदलाव (जैसे बेहतर ट्यूनिंग, गास्केट बदलना आदि) किए गए हों, तो यह असर और भी कम हो जाता है।
ARAI, Indian Institute of Petroleum जैसी संस्थाओं के मुताबिक E20 का इस्तेमाल करने वाले पुराने वाहनों में कोई गंभीर तकनीकी नुकसान नहीं हुआ है। हां, कुछ पुरानी गाड़ियों में 20,000 से 30,000 किमी के बाद रबर पार्ट्स बदलने की सलाह दी जाती है, जो आम सर्विसिंग का ही हिस्सा होता है।
पर्यावरण के लिए क्यों फायदेमंद है Ethanol Blended Fuel?
Ethanol एक clean-burning fuel है। यह कार्बन मोनोऑक्साइड, हाइड्रोकार्बन और पार्टिकुलेट मैटर जैसे हानिकारक उत्सर्जन को कम करता है। NITI Aayog की रिपोर्ट बताती है कि गन्ने से बने एथेनॉल से 65% और मक्के से बने एथेनॉल से 50% तक कम ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन होता है।
दिल्ली, मुंबई जैसे शहरों में E20 के इस्तेमाल से वायु गुणवत्ता में धीरे-धीरे सुधार देखने को मिला है।
सरकार की रणनीति: E30 तक का सफर
भारत ने 2025 तक 20% ब्लेंडिंग का लक्ष्य रखा था, जो फरवरी 2025 तक लगभग 18% औसत स्तर तक पहुँच चुका है। अगला लक्ष्य है E30 — यानी 2030 तक पेट्रोल में 30% एथेनॉल मिलाना।
यह सिर्फ पर्यावरण का मसला नहीं है। यह एक रणनीतिक निर्णय है, जिससे भारत अपनी ऊर्जा नीति को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश कर रहा है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में एथेनॉल आधारित उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा, किसानों को स्थायी आमदनी का स्रोत मिलेगा और शहरों में प्रदूषण पर भी नियंत्रण होगा।
चुनौतियाँ क्या हैं?
- पानी की खपत: गन्ना एक water-intensive फसल है। इसके उत्पादन में ज़्यादा पानी लगता है, जिससे पानी की कमी वाले इलाकों में दबाव बढ़ सकता है।
- Food vs Fuel Debate: खराब फसल वर्षों में जब खाद्यान्न की कमी होती है, तब भोजन को ईंधन में बदलना एक नैतिक और आर्थिक बहस का विषय बन जाता है।
- वाहन अनुकूलता: पुराने वाहन, जो E20 के लिए डिजाइन नहीं किए गए हैं, उनमें इंजन और फ्यूल लाइन से जुड़ी समस्याएँ हो सकती हैं।
- सर्विसिंग लागत: कुछ हिस्सों की रिप्लेसमेंट की ज़रूरत हो सकती है, हालांकि ये आम सर्विसिंग का ही हिस्सा होते हैं और महंगे नहीं हैं।
क्या फायदा है E20 इस्तेमाल करने का?
- उच्च ऑक्टेन वैल्यू: एथेनॉल का ऑक्टेन नंबर पेट्रोल से ज़्यादा होता है, जिससे combustion बेहतर होता है और वाहन की ride quality सुधरती है।
- Volumetric Efficiency: इसका heat of vaporisation भी ज़्यादा होता है, जिससे इंजन में घने मिश्रण का निर्माण होता है और performance बेहतर होती है।
- Greenhouse Emissions में कटौती: हर लीटर एथेनॉल इस्तेमाल से पेट्रोल की जगह लेने पर CO2 उत्सर्जन में कमी आती है।
- किसानों को आय और रोजगार: एथेनॉल से जुड़ी मांग के कारण गन्ना, मक्का, चावल जैसी फसलों की मांग बढ़ी है, जिससे किसानों को सीधा फायदा मिला है।
निष्कर्ष: क्या E20 है भविष्य का ईंधन?
सरकार का साफ कहना है कि 20% ethanol blended petrol (E20) से जुड़े डर वैज्ञानिक आधार पर सही नहीं हैं। यह भारत के green fuel transition, ऊर्जा आत्मनिर्भरता और ग्रामीण समृद्धि की दिशा में एक मजबूत कदम है।
हालाँकि चुनौतियाँ मौजूद हैं, लेकिन सरकार ने दूसरी पीढ़ी के बायोफ्यूल्स (2G ethanol) को प्रोत्साहित करके इनका समाधान ढूँढ़ने की कोशिश की है।
अगर आपको कभी लगे कि आपकी गाड़ी की mileage थोड़ी कम हो रही है, तो ध्यान रखें कि यह सिर्फ 1-2% की गिरावट हो सकती है, जो ज्यादा मायने नहीं रखती। इसके बदले में, आपको स्वच्छ ईंधन, किसानों को सपोर्ट और देश को विदेशी तेल पर निर्भरता से आज़ादी का फायदा मिल रहा है।
अगर आप E20 का इस्तेमाल कर रहे हैं या करने की सोच रहे हैं, तो घबराएं नहीं। आने वाला भविष्य ethanol blended petrol in India का ही है – और यह सिर्फ पर्यावरण के लिए नहीं, बल्कि हमारे आर्थिक और सामरिक हितों के लिए भी ज़रूरी है।
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