राजस्थान पुलिस की साइबर क्राइम शाखा ने डिजिटल अरेस्ट नामक एक धोखाधड़ी के संबंध में एक महत्वपूर्ण एडवाइजरी जारी की है।
2025 में भारत में साइबर अपराधों का ग्राफ तेजी से बढ़ा है, और इनमें डिजिटल अरेस्ट स्कैम एक प्रमुख चुनौती के रूप में उभरा है। डिजिटल अरेस्ट एक ऐसी धोखाधड़ी तकनीक है जिसमें साइबर अपराधी खुद को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI), प्रवर्तन निदेशालय (ED), पुलिस, या अन्य सरकारी एजेंसियों जैसे रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) का अधिकारी बताकर लोगों को डराते हैं। ये ठग वीडियो कॉल, फोन कॉल, व्हाट्सएप मैसेज, या फर्जी सरकारी पत्रों के माध्यम से लोगों को यह विश्वास दिलाते हैं कि उनके खिलाफ कोई गंभीर आपराधिक मामला दर्ज है, जैसे मनी लॉन्ड्रिंग, ड्रग तस्करी, या मानव तस्करी। इस डर का फायदा उठाकर वे पीड़ितों से मोटी रकम वसूलते हैं। 2025 में डिजिटल अरेस्ट के कई बड़े मामले सामने आए, जिनमें राजस्थान पुलिस, CBI, और अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने महत्वपूर्ण कार्रवाई की।
राजस्थान पुलिस ने जारी की चेतावनी: CBI/ED अधिकारी बन ठग रहे अपराधी
राजस्थान पुलिस की साइबर क्राइम शाखा ने डिजिटल अरेस्ट नामक एक धोखाधड़ी के संबंध में एक महत्वपूर्ण एडवाइजरी जारी की है। इस तरीके में अपराधी खुद को सीबीआई, मुंबई पुलिस, कस्टम, आयकर विभाग या प्रवर्तन निदेशालय (ED) के अधिकारी बताकर लोगों को वीडियो कॉल पर डराते हैं और उन्हें गंभीर अपराधों में फंसाने की धमकी देकर उनके बैंक खातों से पैसे ऐंठ लेते हैं।
क्या है ‘डिजिटल अरेस्ट’
एसपी साइबर क्राइम शांतनु कुमार सिंह ने बताया कि साइबर अपराधी पीड़ितों को वीडियो कॉल करते हैं और वर्दी व फर्जी वारंट दिखाकर उन्हें धमकाते हैं। वे दावा करते हैं कि पीड़ित के बच्चों या परिवार ने ड्रग्स, रेप जैसे अपराध किए हैं, उनके मोबाइल नंबर का उपयोग देश विरोधी गतिविधियों में हुआ है, या उनके बैंक खातों में मनी लॉन्ड्रिंग या देश विरोधी गतिविधियों से संबंधित बड़ी रकम जमा है।
साइबर अपराधी पीड़ितों को धमकाकर कहते हैं पुलिस वेरिफिकेशन के लिए उन्हें अपने सभी बैंक खाते, फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) और अन्य निवेश की पूरी धनराशि उनके बताए गए बैंक खातों में ट्रांसफर करनी होगी। वे यह भी आश्वासन देते हैं कि वेरिफिकेशन सही पाए जाने पर पैसे वापस कर दिए जाएंगे। अपराधी पीड़ितों को तब तक वीडियो कॉल पर ही रहने के लिए मजबूर करते हैं जब तक वेरिफिकेशन पूरा न हो जाए और उन्हें किसी अन्य व्यक्ति या पुलिस को इसकी सूचना न देने की धमकी देते हैं। डर के मारे लोग पीड़ित अक्सर इन अपराधियों के बताए गए यूपीआई या बैंक खातों में बड़ी रकम ट्रांसफर कर देते हैं।
राजस्थान पुलिस ने इस तरह की धोखाधड़ी से बचने के लिए अत्यंत सावधानी बरतने का आग्रह किया है:
1. पुलिस या कोई भी सरकारी विभाग कभी भी वीडियो कॉल पर किसी को गिरफ्तार करने या अपराध में संलिप्तता की धमकी नहीं देता है। यह एक स्पष्ट संकेत है कि आप ठगी का शिकार हो रहे हैं।
2. इस तरह की किसी भी वीडियो कॉल पर कभी भी किसी अन्य खाते में धनराशि ट्रांसफर न करें। सरकारी एजेंसियां कभी भी सत्यापन के नाम पर आपसे पैसे ट्रांसफर करने को नहीं कहेंगी।
अगर आप ऐसी घटना का शिकार होते हैं तो क्या करें
• तत्काल अपने निकटतम पुलिस स्टेशन या साइबर पुलिस स्टेशन में संपर्क करें।
• साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल https://cybercrime.gov.in पर अपनी शिकायत ऑनलाइन दर्ज कराएं।
• साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करके सहायता प्राप्त करें।
• आप साइबर हेल्पडेस्क नंबर 9256001930 या 9257510100 पर भी संपर्क कर सकते हैं।
एसपी सिंह ने बताया कि साइबर अपराधी लगातार अपने तरीकों में बदलाव कर रहे हैं। सतर्क रहें, जागरूक रहें, और अपनी व्यक्तिगत व वित्तीय जानकारी को सुरक्षित रखें। आपकी सावधानी ही आपको इन धोखेबाजों से बचा सकती है।
भारत में प्रमुख डिजिटल अरेस्ट घटनाएँ
पश्चिम बंगाल में पहली डिजिटल अरेस्ट सजा
2025 में पश्चिम बंगाल के नदिया जिले की कल्याणी कोर्ट ने डिजिटल अरेस्ट से संबंधित साइबर धोखाधड़ी के मामले में नौ लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई, जो भारत में इस तरह का पहला ऐतिहासिक फैसला था। दोषियों में चार महाराष्ट्र, तीन हरियाणा, और दो गुजरात के निवासी थे। इनका नेतृत्व मोहम्मद इम्तियाज अंसारी, शाहिद अली शेख, शाहरुख रफीक शेख, जतिन अनुप लडवाल, रोहित सिंह, रूपेश यादव, साहिल सिंह, पठान सुमैया बानो, और फाल्दु अशोक ने किया। इस मामले में एक सेवानिवृत्त कृषि वैज्ञानिक से लगभग 1 करोड़ रुपये की ठगी की गई थी।
- मामले का विवरण: ठगों ने व्हाट्सएप कॉल के जरिए पीड़ित को मुंबई पुलिस का अधिकारी बताकर डराया और डिजिटल अरेस्ट के नाम पर धोखाधड़ी की। जांच में पता चला कि कॉल्स कंबोडिया से भारतीय सिम कार्ड का उपयोग करके की गई थीं। रानाघाट साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन ने 6 नवंबर 2024 को शिकायत दर्ज होने के बाद एक महीने की जांच में 13 लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें से नौ को भारतीय न्याय संहिता (BNS) और सूचना प्रौद्योगिकी (IT) अधिनियम के तहत दोषी ठहराया गया। यह गिरोह देशभर में 100 से अधिक लोगों को ठग चुका था।
CBI की ऑपरेशन चक्र-V
केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने 2025 में ऑपरेशन चक्र-V के तहत डिजिटल अरेस्ट और साइबर धोखाधड़ी के खिलाफ व्यापक कार्रवाई की। इस ऑपरेशन में सात राज्यों—दिल्ली, बिहार, मध्य प्रदेश, केरल, पंजाब, आंध्र प्रदेश, और राजस्थान—में छापेमारी की गई, जिसमें तीन प्रमुख संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया। ये लोग म्यूल बैंक खातों का उपयोग करके अवैध लेनदेन को छिपाने और साइबर अपराधियों की मदद करने में शामिल थे।
- मामले का विवरण: राजस्थान के झुंझुनू में दर्ज एक मामले में, एक पीड़ित को तीन महीने तक डिजिटल अरेस्ट में रखा गया और 42 बार उगाही करके 7.67 करोड़ रुपये की ठगी की गई। CBI ने डिजिटल फुटप्रिंट और वित्तीय लेनदेन का विश्लेषण करके मुंबई, मुरादाबाद, जयपुर, और पश्चिम बंगाल के कृष्णानगर में छापेमारी की। इस दौरान बैंक खाता विवरण, डेबिट कार्ड, चेकबुक, और जमा पर्चियां बरामद की गईं।
मुंबई में 20 करोड़ रुपये की ठगी
मुंबई में एक 86 वर्षीय महिला से दो महीने में 20 करोड़ रुपये की ठगी का मामला सामने आया। ठगों ने खुद को CBI अधिकारी बताकर पीड़ित को डिजिटल अरेस्ट में रखा और हर तीन घंटे में उसकी लोकेशन चेक करने के लिए कॉल किया।
- मामले का विवरण: यह धोखाधड़ी 26 दिसंबर 2024 से 3 मार्च 2025 तक चली। साइबर पुलिस ने तीन संदिग्धों—शेख, रजिक अजान बट, और हृतिक शेखर ठाकुर—को गिरफ्तार किया, जिनमें से एक ने 9 लाख रुपये निकालने की बात कबूल की। पुलिस ने 77 लाख रुपये के बैंक खातों को फ्रीज किया और जांच में पाया कि यह एक अंतरराष्ट्रीय साइबर गिरोह का हिस्सा था।
दिल्ली पुलिस की कार्रवाई
दिल्ली पुलिस ने 2025 में राजस्थान और हरियाणा से तीन साइबर ठगों—दीपक (टोंक), सुरेंद्र कुमार डुडी (सीकर), और राजवीर (सिरसा)—को गिरफ्तार किया। ये लोग ऑनलाइन निवेश स्कीम और डिजिटल अरेस्ट स्कैम के जरिए ठगी कर रहे थे।
- मामले का विवरण: दिल्ली के द्वारका जिले में साइबर क्राइम की बढ़ती शिकायतों के बाद पुलिस ने डिजिटल ट्रेल विश्लेषण और फील्ड निगरानी के आधार पर यह कार्रवाई की। जांच में राजस्थान और हरियाणा को साइबर अपराध के उभरते केंद्रों के रूप में पहचाना गया।
आगरा में चौंकाने वाला मामला
आगरा में एक युवती को 30 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट में रखा गया। ठगों ने CBI और नारकोटिक्स का डर दिखाकर बॉडी स्कैन के बहाने उसके कपड़े उतरवाए और 16 लाख रुपये अलग-अलग खातों में ट्रांसफर करवाए।
- मामले का विवरण: ठगों ने फर्जी सुप्रीम कोर्ट ऑर्डर भेजकर पीड़ित को डराया। इस मामले ने साइबर अपराधियों की क्रूरता और उनके द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली मनोवैज्ञानिक रणनीतियों को उजागर किया।
साइबर अपराध की स्थिति
- आंकड़े: भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) के अनुसार, जनवरी से अप्रैल 2024 तक डिजिटल अरेस्ट की 7.4 लाख शिकायतें दर्ज की गईं, जिनमें 120.3 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। पूरे 2024 में साइबर धोखाधड़ी से 2,140 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
- अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन: अधिकांश स्कैम दक्षिण-पूर्व एशिया (म्यांमार, लाओस, कंबोडिया) और चीन से संचालित होते हैं।
- म्यूल खातों पर कार्रवाई: I4C ने 4.5 लाख म्यूल खातों को फ्रीज किया और 6 लाख संदिग्ध फोन नंबर ब्लॉक किए।
2025 में डिजिटल अरेस्ट स्कैम ने भारत के डिजिटल परिदृश्य को एक गंभीर चुनौती पेश की है। पश्चिम बंगाल में पहली सजा, CBI की ऑपरेशन चक्र-V, और दिल्ली पुलिस की कार्रवाइयों ने इस खतरे से निपटने में महत्वपूर्ण प्रगति दिखाई है। हालांकि, साइबर अपराधियों की उन्नत तकनीक और अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क इसे एक जटिल समस्या बनाते हैं। जनता को सतर्क रहने, संदिग्ध कॉल्स की तुरंत शिकायत करने, और अपनी डिजिटल सुरक्षा को मजबूत करने की आवश्यकता है। राजस्थान पुलिस और I4C जैसे संगठनों की जागरूकता पहल, साथ ही कड़े कानूनी कदम, इस खतरे को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
हमेशा सतर्क रहें, अपनी व्यक्तिगत जानकारी सुरक्षित रखें, और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत शिकायत करें। साइबर सुरक्षा हम सबकी जिम्मेदारी है।
Connect with us at mystory@aawaazuthao.com