राजस्थान के महात्मा गांधी इंलिश मीडियम स्कूलों में अधिशेष शिक्षकों के पदस्थापन को लेकर क्या है विवाद?

अधिशेष शिक्षकों को डार्क जोन और टीएसपी क्षेत्रों में वापस भेजे जाने से कोर्ट केस बढ़ने की आशंका है।

राज्य के महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में पूर्व से कार्यरत अधिशेष हुए कार्मिकों के समायोजन एवम् परिवेदनाओ के निस्तारण करने में परिवेदना समिति गठन करने के निर्देश शिक्षा निदेशक सीताराम जाट ने एक आदेश जारी किए हैं।

इसमें शिक्षकों की काउंसिलिंग की जगह नियुक्ति अधिकारी सीधे आदेश जारी करेंगे और पदस्थापन आदेश की पालना सुनिश्चित करने पर, अधिशेष कर्मचारी पदस्थापन से संतुष्ट नहीं होने पर नियुक्ति अधिकारी द्वारा किस बिन्दु से पदस्थापन नियमों का उल्लंघन हुआ है की परिवेदना ईमेल से करने के निर्देश जारी किए गए हैं ।

परिवेदना समिति के नाम पर लीपा पोती कर घालमेल से अधिकारियों को बचाने का षडयंत्र रचा गया है जिसमें मातहत अधिकारी सदस्य सचिव मनोनीत हो कर उच्च अधिकारियों की समीक्षा करेगा जोकि हास्यास्पद कदम है ।

उदाहरण- चार सदस्यीय परिवेदना समिति गठन में तृतीय श्रेणी अधिशेष कर्मचारी के नियुक्ति अधिकारी जिला शिक्षा अधिकारी मुख्यालय होते है । और उनके मातहत अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी मुख्यालय जोकि प्रधानाचार्य के समकक्ष पद पर कार्यरत एडी ईओ को सदस्य सचिव मनोनीत किया गया हैं जोकि उच्च स्तरीय जिला शिक्षा अधिकारी के आदेश की समीक्षा करेगा हालांकि उप निदेशक स्तरीय उच्च अधिकारी को अध्यक्ष बना कर परिवेदना समिति गठन में रखा गया हैं।

पदस्थापन में जिला शिक्षा अधिकारी नियुक्ति अधिकारी होने के कारण मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी को परिवेदना समिति का अध्यक्ष मनोनीत किया जाकर जिला शिक्षा अधिकारी मुख्यालय माध्यमिक शिक्षा,ओर जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक शिक्षा को सदस्य मनोनीत किया जाकर अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी को सचिव मनोनीत किया गया है।

परिवेदना समिति गठन के नाम पर लीपा पोती

इसी तरह द्वितीय श्रेणी कर्मचारी के लिए सयुक्त शिक्षा निदेशक संभाग स्तरीय समिति गठन के अध्यक्ष और महात्मा गांधी प्रकोष्ठ के उप निदेशक सदस्य तथा संभाग मुख्यालय के मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी को सदस्य मनोनीत किया गया है और सहायक निदेशक को सदस्य सचिव मनोनीत किया गया है।

राजस्थान शिक्षक संघ सियाराम ने कड़ा एतराज़ जताते हुए इसे शिक्षक हितों के विपरीत एकतरफा कार्यवाही बताया।

इधर राजस्थान सरकार के स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा अधिशेष हुए कार्मिकों की काउंसिलिंग नहीं कराए जाने पर राजस्थान शिक्षक संघ सियाराम ने कड़ा एतराज़ जताते हुए इसे शिक्षक हितों के विपरीत एकतरफा कार्यवाही बताया है और परिवेदना समिति गठन को ढकोसला बताते हुए कोर्ट शरण में जाने की चेतावनी दी है।

अधिशेष स्टॉफ की पदस्थापन प्रक्रिया कोर्ट केस बढ़ाएगी

संगठन के प्रदेश प्रशासनिक अध्यक्ष सियाराम शर्मा ने कहा कि अधिशेष स्टॉफ मूकदर्शक बन कर बैठा रहा तो शिक्षा विभाग अपने स्तर पर एक तरफ़ा पदस्थापन कर देगा और बाद में पहले आदेश की पालना में कार्य ग्रहण के नाम पर ही परिवेदना स्वीकार करेगा और बाद में परिवेदना खारिज कर देगा।

मातहत अधिकारी सदस्य सचिव मनोनीत होकर अपने उच्च अधिकारी के आदेशों की समीक्षा कैसे करेगा

सियाराम संगठन ने बताया कि पहली बार उच्च अधिकारियों के आदेश की परिवेदना निम्न अधिकारी सदस्य सचिव होने के नाते सुनेगा ।

मातहत निम्न अधिकारी सदस्य सचिव मनोनीत होकर अपने उच्च अधिकारी के आदेशों में मीनमेख कैसे निकाल सकता है यह शोध का विषय है।

इसमें शिक्षकों के पदस्थापन कार्यक्रम की घोषणा कर दी गई है। शिक्षा निदेशक सीताराम जाट ने बताया कि 22 जुलाई को पदस्थापन आदेश जारी किए जाएंगे तथा 24 जुलाई तक शिक्षकों को कार्यग्रहण करना होगा।

21 को बनेगी समायोजन सूची

पदस्थापन कार्यक्रम के तहत 21 जुलाई को रिक्त पदों की प्रस्तावित सूची तैयार होगी।

22 जुलाई को पदस्थापन आदेश जारी होंगे।

24 जुलाई तक अधिशेष शिक्षकों को नवीन स्कूलों में कार्यग्रहण अनिवार्य होगा।

शिक्षकों को 28 जुलाई तक परिवेदनाएं प्रस्तुत करने की छूट रहेगी, जिनका निस्तारण 30 जुलाई को होगा।

शिक्षा निदेशक के अनुसार इस बार पदस्थापन प्रक्रिया को तीव्र गति से अंजाम दिया गया है। तीन दिन में ही चयनित शिक्षकों का पदस्थापन कर दिया गया। इसके बाद 30 जून को अधिशेष शिक्षकों की सूची तैयार की गई थी और उन्हें 3 जुलाई तक कार्यग्रहण के निर्देश दिए गए थे।

प्रदेशभर में 3737 अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में कुल 11 हजार 700 शिक्षकों का पदस्थापन किया गया था। हालांकि, इनमें से लगभग 5 हजार शिक्षकों को ही अधिशेष मानते हुए नए पदस्थापन आदेश जारी किए गए हैं। अब इन शिक्षकों को हिंदी माध्यम के रिक्त पदों पर स्थानांतरित किया जाएगा।

सियाराम संगठन ने पूरी अधिशेष प्रक्रिया पर प्रश्नचिन्ह अंकित करते हुए कहा कि यह शोध ओर देखने का विषय होगा कि अधिशेष स्टॉफ में कितने कार्मिकों को वापस डार्क जोन टीएसपी एरिया में रिक्त पदों पर पदस्थापन कर समायोजित किया जाएगा ।

आधे पद भरे गए आधे अभी भी खाली

क्योंकि महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में अधिकतर कार्मिकों ने घर के निकट जाने की चाह में परीक्षा देकर चयनित हुए है अभी भी आधे ही पद स्वीकृत कर भरे गए है और महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में आधे पद खाली है यह देखना है कि अधिशेष कर्मचारी को अनुभव के आधार पर दूसरे महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में समायोजित किया जाता हैं याफ़िर उन्हें हिन्दी माध्यम स्कूलों में रिक्त पदों पर पदस्थापन कर समायोजित किया जाता हैं यह भविष्य के गर्भ में है।

इससे पूर्व भी महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में हिन्दी माध्यम से परीक्षा परिणाम के आधार पर पदस्थापन में भी कई शिक्षक कार्मिक इसलिए चयनित होने से वंचित रह गए क्योंकि काउंसलिंग में एक ही जिला भरना था जबकि इससे पूर्व सभी काउंसलिंग में तीन से लेकर पांच जिले की चॉइस मांगी जाती रही हैं।

इससे कई जिलों में वरीयता सूची में जिला नहीं मांगने से पद खाली रह गए ओर कई अधिक अंक प्राप्त कर भी चयनित नहीं हुए ।डार्क जोन टीएसपी एरिया रिक्त पदों से कोढ़ में खाज़ का काम किया

जनजाति परिक्षेत्र के बेरोजगार युवाओं में खासा आक्रोश

इसमें भी डार्क जोन टीएसपी एरिया से निकलने की हड़बड़ी में पहले से खाली पदों से जूझ रहे टीएसपी एरिया बांसवाड़ा में कार्मिकों को स्वयं के जिले में जाने से रिक्त पदों की संख्या बढ़ गई जिसने कोढ़ में खाज़ का काम किया है। जनजाति परिक्षेत्र बांसवाड़ा जिले के बेरोजगार युवाओं में खासा आक्रोश व्याप्त हैं।

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