Himachal Pradesh Monsoon Alert: मंडी, कुल्लू में भारी तबाही, 179 की मौत – क्या बारिश थमेगी या बढ़ेगा खतरा?

लगातार बारिश से जूझ रहा है हिमाचल प्रदेश, मंडी-कुल्लू-चंबा में सबसे ज्यादा नुकसान, जानें अब तक कितना हुआ नुकसान और क्या कहता है मौसम विभाग।

हिमाचल प्रदेश इस साल के मानसून में एक गंभीर प्राकृतिक आपदा का सामना कर रहा है। जून और जुलाई महीने की भारी बारिश ने राज्य के कई इलाकों में जानमाल का भारी नुकसान किया है। State Disaster Management Authority (SDMA) के अनुसार, 20 जून से 3 अगस्त तक 179 लोगों की मौत हुई है, जिनमें से 101 मौतें सीधे बारिश से जुड़ी घटनाओं—जैसे भूस्खलन, बादल फटने और फ्लैश फ्लड्स—की वजह से हुई हैं। इसके अलावा 78 लोग सड़क हादसों में मारे गए, जिनकी बड़ी वजह खराब मौसम रही।

इस मानसून में 296 सड़कें अभी भी अवरुद्ध हैं, 134 पावर डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफॉर्मर बंद हैं और 266 पानी की सप्लाई स्कीमें प्रभावित हैं। इससे साफ है कि लगातार भारी बारिश ने राज्य की बुनियादी सेवाओं को बुरी तरह से बाधित किया है।

मंडी, कुल्लू और चंबा सबसे ज्यादा प्रभावित

राज्य में सबसे अधिक प्रभावित जिले मंडी, कुल्लू और चंबा रहे हैं। मंडी जिले में जुलाई महीने में 574.7 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो पूरे हिमाचल में सबसे अधिक है। मंडी, शिमला, सोलन और कांगड़ा के 22 स्थानों पर real-time landslide monitoring की गई, जिसमें मंडी जिले के कई इलाकों को moderate risk और कुछ स्थानों को high risk की श्रेणी में रखा गया है। कांगड़ा जिले के नूरपुर स्थित बलडून और सोलन के डक्शी को उच्च जोखिम वाला क्षेत्र माना गया है।

नेशनल हाईवे-505 भी बंद

लाहौल-स्पीति जिले में स्थित National Highway-505 को भूस्खलन और फ्लैश फ्लड के चलते बंद कर दिया गया है। इससे इस दुर्गम क्षेत्र में आवागमन पूरी तरह से ठप हो गया है। इन हालातों में स्थानीय प्रशासन 24×7 राहत और पुनर्स्थापना कार्यों में जुटा है, लेकिन लगातार बारिश और भू-संरचना की अस्थिरता राहत कार्यों को चुनौतीपूर्ण बना रही है।

करोड़ों की संपत्ति और फसल का नुकसान

SDMA की रिपोर्ट के अनुसार, अब तक कुल ₹1,714.95 करोड़ की सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान हुआ है। इसमें सड़कें, बिजली लाइन्स, जल व्यवस्था, स्वास्थ्य केंद्र और स्कूल शामिल हैं। साथ ही 88,800 हेक्टेयर कृषि और बागवानी फसलें भी बर्बाद हो चुकी हैं।

मौसम विभाग की चेतावनी और अलर्ट

India Meteorological Department (IMD) ने अगस्त महीने के लिए राज्य में normal से above normal बारिश की संभावना जताई है। 4 अगस्त को राज्य के सभी जिलों के लिए येलो अलर्ट जारी किया गया है, जबकि 5 अगस्त तक ऑरेंज अलर्ट भी प्रभावी है। अगले कुछ दिनों में बिलासपुर, हमीरपुर, मंडी, कुल्लू, शिमला, सोलन, सिरमौर और उना जिलों में भारी बारिश की संभावना बनी हुई है। 6 और 7 अगस्त को भी कई जगहों पर हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है।

प्रभावित क्षेत्रों का दौरा

हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला ने रविवार को मंडी जिले के थुनाग, बख्श्यार और जंजैहली जैसे प्रभावित इलाकों का दौरा किया। उन्होंने पीड़ित परिवारों से मुलाकात की और राहत सामग्री वितरित की। राज्यपाल ने कहा कि इस क्षेत्र में हुई तबाही की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। उन्होंने यह भी कहा कि पूर्ण मुआवजा तो संभव नहीं, लेकिन सरकार हर स्तर पर सहायता देने का प्रयास करेगी।

विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और कहा कि इस क्षेत्र में जो नुकसान हुआ है, वह अनुमान से कहीं ज्यादा है। उन्होंने राज्यपाल द्वारा की गई मदद की सराहना की।

आगे क्या होगा?

हिमाचल की पहाड़ियों में अभी भी खतरा बना हुआ है। मौसम विभाग के अनुसार, अगले कुछ दिनों में मौसम के मिजाज में सुधार की संभावना कम ही है। SDMA और स्थानीय प्रशासन लोगों से आग्रह कर रहे हैं कि वे गैर-जरूरी यात्रा से बचें, चेतावनियों का पालन करें और ऊंचाई वाले या भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में न जाएं।

सवाल अब यह है कि क्या हर साल मानसून में आने वाली इस तरह की आपदाओं से निपटने के लिए हिमाचल तैयार है? जिस तरह से Monitoring Systems में कमियाँ पाई गईं हैं—जैसे कि मंडी के Vishwakarma Temple के पास अभी भी कोई मॉनिटरिंग यूनिट नहीं है—यह भविष्य के लिए गंभीर संकेत देता है।

निष्कर्ष

Himachal Pradesh Monsoon 2025 एक बार फिर यह दिखा चुका है कि प्रकृति से मुकाबला करना आसान नहीं। जहां एक ओर सरकार राहत कार्यों में लगी है, वहीं आम नागरिकों को भी सजग रहने और पर्यावरण के साथ संतुलन बनाए रखने की ज़रूरत है। आने वाले दिनों में बारिश का दौर जारी रहने की संभावना है, ऐसे में ज़रूरी है कि हम सतर्क रहें और अपने स्थानीय प्रशासन के निर्देशों का पालन करें।

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