जनजातीय लोगों के साथ सादगी से मनाया समारोह
राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने अपने कार्यकाल का एक वर्ष आदिवासी और जनजातीय लोगों के कल्याण के लिए कार्य करने को समर्पित किया है। इसी आलोक में बुधवार को वह उदयपुर के सुदूरवर्ती जनजातीय क्षेत्र कोटड़ा की ग्राम पंचायत बिलवन पहुंचे। उन्होंने एक वर्ष का कार्यकाल पूर्ण होने की पूर्व सांझ वहां जनजातीय लोगों के साथ सादगी से मनाई। उल्लेखनीय है कि श्री बागड़े ने राजस्थान में 31 जुलाई 2024 को राज्यपाल पद की शपथ ली थी।
राज्यपाल श्री बागड़े उदयपुर जिले के दो दिवसीय प्रवास पर बुधवार अपराह्न हेलीकॉप्टर से महाराणा प्रताप एयरपोर्ट डबोक पहुंचे। एयरपोर्ट पर अधिकारियों ने उनकी अगवानी की। वहां से सड़क मार्ग से कोटड़ा ब्लॉक की ग्राम पंचायत बिलवन पहुंचे। जनजाति क्षेत्रीय विकास मंत्री बाबूलाल खराड़ी, पूर्व विधायक खेरवाड़ा नानालाल अहारी, अतिरिक्त मुख्य सचिव टीएडी कुंजीलाल मीणा, संभागीय आयुक्त प्रज्ञा केवलरमानी, जिला कलक्टर नमित मेहता, पुलिस अधीक्षक योगेश गोयल आदि ने उनका स्वागत किया। कोटड़ा प्रधान सुगना देवी की अगवाई में स्थानीय जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों ने राज्यपाल का परंपरागत ढंग से स्वागत किया। बिलवन सरपंच शंकरलाल गमार, सुरेश खेर ने तीर कमान भेंट किया। ग्रामीणों ने परंपरागत गैर नृत्य से राज्यपाल श्री बागड़े का सत्कार किया। राज्यपाल ने जनजातीय लोगों से आत्मीयता से बातचीत की, उन्हें सुना। उनके उत्पादों और किए जाने वाले कार्यों के बारे में जाना और अधिकारियों को उनके कल्याण के लिए कार्य करने का आह्वान किया।
बिलवन गांव में आयोजित संवाद कार्यक्रम के दौरान ग्रामीणों से मुखातिब होते हुए राज्यपाल श्री बागड़े ने कहा कि आदिवासी समाज ने महाराणा प्रताप को मुगलों के साथ युद्ध में बहुत सहायता की। उन्होंने राजा बांसिया भील, राणा पुंजा, राजा डुंगरिया भील, राजा कुशला भील, राजा कमल भील, राजा कोटिया भील आदि को याद करते हुए कहा कि समाज के इन महान लोगों के योगदान को हमें भूलना नहीं है। राणा प्रताप आज भी हमारे दिल मे हैं। वैसे ही इन सभी को भी याद रखना है। उन्होंने कहा कि शिक्षा से ही सतत उत्थान का मार्ग प्रशस्त हो सकता है। इसलिए अपने बच्चों की शिक्षा पर ध्यान देवें। उन्होंने कहा कि राजस्थान में कहावत है पूत सिखावे पालने, यहां जब पालने में बच्चा होता है तब से सीखना प्रारंभ कर देता है। अच्छी शिक्षा के लिए सरकार ने आवासीय छात्रावास भी बनाएं हैं, उनका ज्यादा से ज्यादा लाभ लें और यहां के बच्चे बड़े अधिकारी बनें। गरीबी दूर करनी है तो केवल शिक्षा से दूर हो सकती है।
उन्होंने भारत रत्न बाबा अम्बेडकर का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने शिक्षा के माध्यम से ही देश दुनिया मे नाम रोशन किया। आप किसी से कम नहीं हैं, स्वयं को किसी से कम नहीं आंके। आप भी पढ़ाई के माध्यम से उच्च पदों तक पहुँच सकते हैं। उन्होंने सभी से नशे और अन्य प्रकार के व्यसन से दूर रहने की अपील की। व्यसनमुक्त परिवार बनाएं, जो परिवार व्यसन मुक्त होगा उनके बच्चे भी आगे बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि किसान सम्मान निधि और आरोग्य योजना के माध्यम से भारत के गरीब और आदिवासी समुदाय के लोग मुख्य धारा में जुड़ सकें, आवासीय विद्यालयों एवं छात्रावासों के माध्यम से उच्च स्तर की शिक्षा निःशुल्क मुहैया करवाई जा रही है।

कार्यक्रम में जनजाति क्षेत्रीय विकास मंत्री श्री बाबूलाल खराड़ी ने कहा कि राज्यपाल महोदय जनजाति समुदाय के उत्थान के लिए सदैव प्रयत्नरत हैं। दूरदराज के गांवों में जाकर आमजन से बात करने वाले पहले राज्यपाल हैं। उन्होंने कहा कि
आज केंद्र और राज्य सरकार के समन्वित प्रयासों से कोटड़ा जैसे सुदूर क्षेत्र की तस्वीर सकारात्मक रूप से बदली है। पहले जंगलों से लकड़ी लाकर भोजन बनाना पड़ता था अब गैस चूल्हों से बनने लगा है। गांव-गांव तक बिजली और सड़क की पहुंच हुई है। वन क्षेत्र में अभी कुछ गांवों में परेशानियां हैं, जिन्हें दूर करने की आवश्यकता है। सरकार इसके लिए लगातार प्रयासरत है।
राज्यपाल बागड़े ने ग्रामीणों से आत्मीय संवाद किया। पीएम आवास योजना के लाभार्थी शिवम् ने बताया कि पक्के मकान बनने से प्रकृति की सुरक्षा हुई। पहले कच्चे मकानों के लिए लकड़ी काटनी पड़ती जिससे जंगल का नुकसान होता था। अब स्थिति बदल गई। लाभार्थी रमेश ने बताया कि कच्ची झोंपड़ी बारिश में ढह जाती थी। पक्का मकान मिला तो सुरक्षित हुए। विधवा रेशमी ने सरकारी योजनाओं के तहत मिले लाभ से अवगत कराते हुए बताया कि उसे पक्का मकान मिला। बच्चे पढ़ रहे, घर पर बिजली कनेक्शन भी हुआ। इसके लिए उसने सरकार का धन्यवाद ज्ञापित किया। विता देवी ने भी योजना से मिले लाभ बताए।
बिलवन में आयोजित संवाद कार्यक्रम के दौरान पर्यटन विभाग के तत्वावधान में लोक कलाकारों ने विभिन्न लोक नृत्य प्रस्तुत किए। ठेठ आदिवासी अंचल में पहुंच कर लोक संस्कृति की दुर्लभतम झलक पाकर राज्यपाल अभिभूत हो उठे। कार्यक्रम के दौरान लोक कलाकारों ने गरासिया लोकनृत्य से स्वागत किया। मेवाड़ की लोक संस्कृति का प्रतिबिम्ब गवरी नृत्य देखकर राज्यपाल गद्गद् हो उठे। कथौड़ी कलाकारों ने भी अपने परंपरागत लोक नृत्य से समां बांधा। वहीं कोटड़ा के ढोल नृत्य ने भी सभी का मन मोहा।
एक वर्ष में किये ये महत्वपूर्ण काम
राज्यपाल हरिभाऊ बागडे के कार्यकाल का एक वर्ष गुरूवार को पूर्ण होने जा रहा है। अपनी सादगी के लिए देश भर में जाने जाने वाले श्री बागड़े ने अपने कार्यकाल के एक वर्ष का उत्सव भी उदयपुर जिले के कोटड़ा क्षेत्र में आदिवासी लोगों के बीच मनाकर जनजाति उत्थान का बड़ा संदेश दिया। राज्यपाल का कार्यकाल सामाजिक व सांस्कृतिक विकास को समर्पित रहा। उनका निरंतर यह प्रयास रहा है कि सभी क्षेत्रों में राजस्थान अभ्युदय की ओर बढ़ें।
अभ्युदल के लक्ष्य को लेकर उन्होंने राज्य के विकास से जुड़े मुद्दों को प्राथमिकता देते हुए सभी जिलों का सघन दौरा किया। वहां के लोगों से संवाद किया। समीक्षा बैठकें ली और केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं, विकास कार्यक्रमों, जन हित से जुड़ी नीतियों का प्रभावी क्रियान्वयन के निर्देश दिए।
इसी तरह जनजातीय क्षेत्रों के विकास को प्राथमिकता में रखते वहां के उत्पादों के विपणन के जरिए उनके जीवन स्तर में सुधार की पहल की। समय-समय पर जनजाति अंचलों का दौरा कर वहां केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं की प्रभावी मोनिटरिंग सुनिश्चित कराई। राजभवन में स्वतंत्रता दिवस पर आयोजित एट होम में पहली बार आदिवासी उत्पादों की प्रदर्शनी आयोजित करवाई। एक भारत श्रेष्ठ भारत के तहत राज्य में निवास करने वाले दूसरे राज्यों के लोगों से सतत संवाद। राजभवन में राज्यों के स्थापना दिवस मनाने की जीवंत पहल हुई।
कुलाधिपति के रूप में उच्च शिक्षा में गुणवत्ता सुनिश्चित करते सभी विश्वविद्यालयों के नैक एक्रीडिएशन के प्रयास प्रारंभ किए। राजस्थान विश्वविद्यालय को नैक एक्रीडिएशन में सफलता भी मिली। विश्वविद्यालयों के लिए पहली बार राजभवन में नैक एक्रिडेशन कार्यशाला आयोजित की। नई शिक्षा नीति के तहत विश्वविद्यालयों में उद्यमिता पाठ्यक्रमों को प्रारंभ करने की पहल हुई। उच्च शिक्षा के अंतर्गत विद्यार्थियों की बौद्धिक क्षमता वृद्धि के लिए आह्वान। इसके अनुरूप पढ़ाई करवाने के निर्देश दिए।
राज्यपाल श्री बागड़े ने प्रदेश में रासायनिक खेती के खतरों को देखते हुए प्राकृतिक खेती के लिए कार्य किए जाने पर जोर दिया। सहकारिता की भावना के साथ सभी क्षेत्रों विकास के साझा प्रयास किए जाने की पहल की और डेयरी और आदिवासी क्षेत्रों में सर्वांगीण विकास के लिए राज्यभर के सुदूर स्थलों की यात्रा कर केन्द्र और राज्य सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं की प्रभावी मॉनिटरिंग सुनिश्चित की। प्राकृतिक खेती के प्रति जन जागरूकता के लिए राज्य में पहली बार विषय विशेषज्ञों की राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित करवाई। ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के साथ वहां गरीब और पिछडे वर्ग कल्याण के लिए सहकारिता क्षेत्र को सुदृढ़ करने की राजभवन स्तर पर पहल की। राजभवन स्तर पर राज्य के सभी प्रमुख विभागों की समीक्षा बैठक कर जनहित से जुड़ी कल्याणकारी योजनाओं, नीतियों और योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन की पहल हुई।
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