खराब सिबिल स्कोर यानी No नौकरी! बैंकों की नई नीति का क्यों हो रहा विरोध?

अगर आपका सिबिल स्कोर खराब है, तो बैंकिंग सेक्टर में नौकरी पाना मुश्किल हो सकता है। हाल ही में, कई बैंकों ने भर्ती प्रक्रिया में उम्मीदवारों के सिबिल स्कोर की जांच को अनिवार्य कर दिया है, जिसका भारी विरोध हो रहा है। विशेषज्ञों और उम्मीदवारों का कहना है कि यह नीति अनुचित है और कई योग्य लोगों को नौकरी से वंचित कर सकती है।

बैंकों का तर्क है कि वित्तीय क्षेत्र में काम करने वालों का क्रेडिट रिकॉर्ड मजबूत होना चाहिए, क्योंकि उनकी भूमिका में वित्तीय जिम्मेदारी शामिल होती है। हाल ही में एक मामला सामने आया है जिसमें एक योग्य उम्मीदवार को एक प्रमुख सरकारी बैंक में नौकरी से केवल इसलिए वंचित कर दिया गया, क्योंकि उनका सिबिल स्कोर कम था। पुराने लोन की गलत जानकारी के कारण उनका स्कोर प्रभावित हुआ, जिसे ठीक करने का मौका तक नहीं दिया गया।

विरोध क्यों?

कई का मानना है कि सिबिल स्कोर किसी व्यक्ति की नौकरी की योग्यता का सही पैमाना नहीं है। निजी परिस्थितियों, जैसे मेडिकल इमरजेंसी या आर्थिक तंगी, के कारण स्कोर खराब हो सकता है।

सिबिल रिपोर्ट में गलतियां, जैसे बंद खातों का अपडेट न होना या गलत डिफॉल्ट दर्ज होना आम हैं। इन त्रुटियों को सुधारने की प्रक्रिया जटिल और समय लेने वाली है। सिबिल की आधिकारिक वेबसाइट पर डिस्प्यूट रिजॉल्यूशन फॉर्म (Dispute Resolution Form) भर कर सुधार संभव है, लेकिन इसमें 30 दिन तक का समय लग सकता है, जो नौकरी आवेदन की समयसीमा के लिए पर्याप्त नहीं हो सकता।

सभी बैंक इस नीति को एकसमान लागू नहीं करते। कुछ निजी बैंक केवल विशिष्ट भूमिकाओं (जैसे वित्तीय सलाहकार या क्रेडिट मैनेजर) के लिए सिबिल स्कोर की जांच करते हैं, जबकि अन्य इसे पूरी तरह अनदेखा करते हैं। इससे भर्ती मानकों में असमानता पैदा होती है।

नई नीति: सिबिल स्कोर क्यों बना भर्ती का आधार?

सिबिल स्कोर, जो 300 से 900 के बीच होता है, किसी व्यक्ति की क्रेडिट हिस्ट्री और कर्ज चुकाने की क्षमता को दर्शाता है। एक अच्छा सिबिल स्कोर (750 या अधिक) यह दर्शाता है कि व्यक्ति समय पर अपने कर्ज और क्रेडिट कार्ड बिलों का भुगतान करता है। वहीं, 550 से कम स्कोर को खराब माना जाता है, जिसके कारण बैंक उम्मीदवारों को जोखिम भरा मान सकते हैं।

हाल ही में, मद्रास हाईकोर्ट ने एक मामले में इस नीति को बरकरार रखा, जिसमें कार्तिकेयन नामक एक उम्मीदवार को SBI में नौकरी से इसलिए वंचित कर दिया गया, क्योंकि उसका सिबिल स्कोर खराब था। इस उम्मीदवार ने कई पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड डिफॉल्ट किए थे, जिसके कारण उसकी क्रेडिट हिस्ट्री प्रभावित हुई। कोर्ट ने माना कि बैंकिंग जैसे संवेदनशील क्षेत्र में वित्तीय अनुशासन जरूरी है। हालांकि, उम्मीदवार ने तर्क दिया कि उसे डिफॉल्ट को सुधारने का मौका दिया जाना चाहिए, जैसा कि SBI के एक पत्र में उल्लेख था।

RBI की नई पहल: क्रेडिट स्कोर में बदलाव

भारतीय रिजर्व बैंक ने क्रेडिट स्कोर सिस्टम में सुधार के लिए हाल ही में कई कदम उठाए हैं। 1 जनवरी 2025 से बैंकों और वित्तीय संस्थानों को हर 15 दिन में क्रेडिट ब्यूरो को डेटा अपडेट करना अनिवार्य कर दिया गया है, जबकि पहले यह प्रक्रिया मासिक थी। इससे क्रेडिट स्कोर की गणना और अपडेट तेजी से होगा, जिससे उम्मीदवारों को अपने स्कोर में सुधार का लाभ जल्दी मिलेगा।

इसके अलावा, RBI ने रीयल-टाइम क्रेडिट स्कोर अपडेट की दिशा में काम शुरू किया है। डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव ने कहा कि रीयल-टाइम डेटा से सिस्टम में पारदर्शिता बढ़ेगी और बैंकों को जोखिम का बेहतर आकलन करने में मदद मिलेगी। यह कदम उन उम्मीदवारों के लिए राहतकारी हो सकता है, जिनके स्कोर में गलतियां या पुराने डेटा के कारण नुकसान हो रहा है।

RBI ने यूनिफाइड लेंडिंग इंटरफेस (ULI) प्लेटफॉर्म भी शुरू किया है, जो खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में उन लोगों की क्रेडिट क्षमता का आकलन करेगा, जिनका सिबिल स्कोर नहीं है। यह भविष्य में नौकरी आवेदनों के लिए भी सहायक हो सकता है।

ऐसे सुधर सकता है सिबिल स्कोर

लोन की EMI और क्रेडिट कार्ड बिल का समय पर भुगतान करें। देरी से भुगतान सिबिल स्कोर को नुकसान पहुंचाता है। क्रेडिट कार्ड की लिमिट का केवल 30% तक उपयोग करें। इससे यह संदेश जाता है कि आप वित्तीय रूप से अनुशासित हैं। होम लोन जैसे सिक्योर्ड लोन और पर्सनल लोन जैसे अनसिक्योर्ड लोन के बीच संतुलन बनाएं। बैंक सिक्योर्ड लोन को प्राथमिकता देते हैं।एक साथ कई लोन आवेदनों से क्रेडिट स्कोर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। समय-समय पर अपनी सिबिल रिपोर्ट जांचें और त्रुटियों को सुधारने के लिए डिस्प्यूट फॉर्म भरें।

सिबिल स्कोर को भर्ती का आधार बनाना बैंकिंग क्षेत्र की वित्तीय अखंडता की जरूरत को दर्शाता है, लेकिन यह मानवीय परिस्थितियों को सरल बनाने का जोखिम भी पैदा करता है। एक संतुलित दृष्टिकोण के तहत, सिबिल स्कोर को योग्यता, अनुभव और अन्य कारकों के साथ पूरक के रूप में इस्तेमाल किया जाना चाहिए, न कि एकमात्र मानदंड के रूप में। बैंकों को उम्मीदवारों को अपनी क्रेडिट हिस्ट्री स्पष्ट करने का अवसर देना चाहिए, जैसा कि कई मामलों में मांगा गया है।

RBI को क्रेडिट जांच प्रक्रिया को मानकीकृत करने और सिबिल रिपोर्ट में त्रुटियों के सुधार के लिए तेज और पारदर्शी तंत्र विकसित करने की आवश्यकता है। साथ ही यंग प्रोफेशनल लोगों को वित्तीय प्रबंधन और क्रेडिट स्कोर के महत्व के बारे में जागरूक करने के लिए अभियान चलाए जा सकते हैं।

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